*संघर्ष भी कहां लिखे होते हैं हर किसी के नसीब में!*
*ये तकदीर भी आजमाती उन्हीं को है!*
*जिनके इरादे बुलंद होते हैं ----- ✍🏻😊*
मंगलवार
भाद्रपद/कृष्ण द्वादशी/वि.२०७९
23/08/22
*आर्या शिवकांति*
(तनु जी)
*संघर्ष भी कहां लिखे होते हैं हर किसी के नसीब में!*
*ये तकदीर भी आजमाती उन्हीं को है!*
*जिनके इरादे बुलंद होते हैं ----- ✍🏻😊*
मंगलवार
भाद्रपद/कृष्ण द्वादशी/वि.२०७९
23/08/22
*आर्या शिवकांति*
(तनु जी)
वसुंधरा की सुगंधी और नंगे पैर चलना!!
बड़ा आनंद देता है मिट्टी के रंग में ढलना!!
धरती का आंचल और अंबर की चादर!!!
तरसती धरा पर बरसते जब बादल!!!
बीच आंचल और अंबर के!
मन का मचलना!
बड़ा आनंद देता है मिट्टी के रंग में ढलना!!!
पसीने के बूंदे जब छलकती हैं तन से,,,,
कुछ रज लिपटती जब गीले बदन से!!!
बीच मिट्टी और तन के इन
फासलों का भरना!!!
बड़ा आनंद देता है,
मिट्टी के रंग में ढलना!!!
देखो तो सारा जमाना यहां है!!!
इस जमाने से हमको जाना वहां है!!!
संग मिट्टी के हमको भी मिट्टी है बनना!!
बड़ा आनंद देता है मिट्टी के रंग में ढलना!!
न कर गुरुर तन का,,,
न दिखा अहम धन का!!!
तेरे तन के संग जल जाएगा,
एक कपड़ा भी कफन का!!!
गिर जाए न कूप में कहीं,
उससे पहले है तुझे संभलना!!!
बड़ा आनंद देता है मिट्टी के रंग में ढलना!!
सोमवार
तिथि- पंचमी
श्रावण/कृष्ण/वि.२०७९
*आर्या शिवकांति*
(तनु जी)
कोई जख्म देता है तो कोई मरहम लगाता है!
ये जिंदगी का तजुर्बा है साहब,
बस यूं ही बढ़ता जाता है!
कहीं खत्म हो जाते हैं जख्म मरहम लगाने से,
तो कहीं एक गलत मरहम भी आह दे जाता है!
ये जिंदगी का तजुर्बा है साहब,
बस यूं ही बढ़ता जाता है -------- ✍🏻!
शनिवार
भाद्रपद/कृष्ण नवमी/वि.२०७९
20/08/22
*आर्या शिवकांति*
(तनु जी)
आपकी जिम्मेदारियां और कर्तव्य कई बार आपको डिप्रेशन में जाने से बचा लेते हैं। जब आप सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं तब आप डिप्रेशन में चले जाते हैं क्यों कि आपके साथ वो घटित हुआ होता है जिसकी अपेक्षा आपने नहीं की होती है।
लेकिन जब आप अपनी जिम्मेदारियों या कर्तव्य के बारे में सोचते हैं तब आप अपनी पीड़ा एक तरफ रखकर उठ खड़े होते हैं क्यों कि उस वक्त आपकी सोच में आप नहीं कुछ और होता है और आप वो करने जा रहे होते हैं जो अपेक्षा आपने अपने आपसे की होती है ✍🏻
रविवार
श्रावण/शुक्ल दशमी/वि.२०७९
07/08/22
*आर्या शिवकांति*
(तनु जी)