Monday, October 15, 2018

मेरी बेटी और मैं......

मैं अचेतन से चेतन में आने लगी,
वो माँ करकर मुझको,
बुलाने लगी,,,,
उसके चुम्बन ने ऐसा था जादू किया,,,,
आसाओं का मन में,
जला इक दिया....
मैं हौले से छूकरके बचपन मेरा,
गले से मैं उसको लगाने लगी******
उसकी आँखों में भी,
नमीं थी बहुत....
देखो मुझको ही चुप वो,
कराने लगी,,,,,,,

इक दूजे से गम को,
छुपाते हैं हम,,,,,,
जी भरके फिर मुसकुराते हैं हम.......

दिल भी मासूम है,
मन भी मासूम है.....
वो समझती है सब,
मुझको मालूम है******

देखकर मेरे नैनों की,
मायूसी को.....
पास आकर मुझे बरगलाने लगी""""""
वो माँ कह कह कर मुझको,
बुलाने लगी$$$$$$


शिवकांति आर कमल  ( तनु जी )

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