दर्द भी कराह उठा साहेब-----
जब खंजर पर निशान उन अँगुलियों के देखे---
जिनके स्पर्श से रूह को शुकून मिलता था----
०६/१०/१८
शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
जब खंजर पर निशान उन अँगुलियों के देखे---
जिनके स्पर्श से रूह को शुकून मिलता था----
०६/१०/१८
शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
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