१४/०२/१९ के दिवस शहीद होने वाले देश के महान वीरों को नमन 😢🙏🏻💐
उनके सम्मान में कुछ शब्द लिखने का प्रयाश---✍🏻
ओ वीर तुम्हारी शहादत पर,
कुछ शब्द संचित करती हूँ-
हृदय में उठती पीड़ा को,
कलम समर्पित करती हूँ-
ज्ञान चक्षु सब शून्य हुए,
वीरों की कुर्बानी से,,
वो टुकड़ों में घर पहुंचे हैं,
क्या लिखूं मैं अपनी,
वाणी से---
सजनी देख रहीं थीं राहें,
साजन जी घर आएंगे--
बिरहा की रातें भूलूंगी,
वो प्यार का तोहफा लाएंगे,,,
बचपन की यादें डसती हैं,
उन भाई के बहनों को---
नन्हें हाथों से गूंथा था,
बचपन में फूल के गहनों को,,
कभी है गुमशुम,
कभी है रोती,
कभी शून्य सी देख रही,
हे ईश्वर उनको हिम्मत दे,
अब रहा उन्हें विवेक नहीं---
वो अपनी कोख से पूछ रही,
ललन हमारा किधर गया,,
हमें वहां तक ले जाओ,
जिगर का टुकड़ा जिधर गया--
पिता की आंखें पत्थर हो गयीं,
देह है जिन्दा, साँसें सो गयीं---
कायरों ने आघात किया,
छुपकर पीठ पर वार किया,,,
देश के इन गद्दारों को,
कर्ज अदा अब करना होगा,,
ओ सुअरों की औलादों,
तुमको भी अब, मरना होगा---
देख जवानों के टुकड़े,
तुम आज पटाखे फोड़ रहे,,,
याद रखो,
तुम अपने सर से,
अपनी ही छत तोड़ रहे---
जन-जन का लहू खौल रहा,
तुम्हारी है अब खैर नहीं---
हमने अब कहना छोड़ दिया,
कि हमें किसी से बैर नहीं---
हम यूँ न रोते आज,
अगर युद्ध वो कर पाते---
सामने वार जो करते तुम,
वो युद्ध भूमि से घर जाते---
भारत माँ के वीरों की,
कुर्बानी यूँ न जायेगी---
भारत भूमि के जन-जन में अब,
और बगावत आएगी---
शीश झुकाकर नमन करूँ,,
सलामी समर्पित करती हूँ,,,
हे वीरों तुम स्वीकार करो,
श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ-----
💐💐💐💐💐💐🙏🏻
दिन-रविवार
दिनाँक-१७/०२/१९
आर्या शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
उनके सम्मान में कुछ शब्द लिखने का प्रयाश---✍🏻
ओ वीर तुम्हारी शहादत पर,
कुछ शब्द संचित करती हूँ-
हृदय में उठती पीड़ा को,
कलम समर्पित करती हूँ-
ज्ञान चक्षु सब शून्य हुए,
वीरों की कुर्बानी से,,
वो टुकड़ों में घर पहुंचे हैं,
क्या लिखूं मैं अपनी,
वाणी से---
सजनी देख रहीं थीं राहें,
साजन जी घर आएंगे--
बिरहा की रातें भूलूंगी,
वो प्यार का तोहफा लाएंगे,,,
बचपन की यादें डसती हैं,
उन भाई के बहनों को---
नन्हें हाथों से गूंथा था,
बचपन में फूल के गहनों को,,
कभी है गुमशुम,
कभी है रोती,
कभी शून्य सी देख रही,
हे ईश्वर उनको हिम्मत दे,
अब रहा उन्हें विवेक नहीं---
वो अपनी कोख से पूछ रही,
ललन हमारा किधर गया,,
हमें वहां तक ले जाओ,
जिगर का टुकड़ा जिधर गया--
पिता की आंखें पत्थर हो गयीं,
देह है जिन्दा, साँसें सो गयीं---
कायरों ने आघात किया,
छुपकर पीठ पर वार किया,,,
देश के इन गद्दारों को,
कर्ज अदा अब करना होगा,,
ओ सुअरों की औलादों,
तुमको भी अब, मरना होगा---
देख जवानों के टुकड़े,
तुम आज पटाखे फोड़ रहे,,,
याद रखो,
तुम अपने सर से,
अपनी ही छत तोड़ रहे---
जन-जन का लहू खौल रहा,
तुम्हारी है अब खैर नहीं---
हमने अब कहना छोड़ दिया,
कि हमें किसी से बैर नहीं---
हम यूँ न रोते आज,
अगर युद्ध वो कर पाते---
सामने वार जो करते तुम,
वो युद्ध भूमि से घर जाते---
भारत माँ के वीरों की,
कुर्बानी यूँ न जायेगी---
भारत भूमि के जन-जन में अब,
और बगावत आएगी---
शीश झुकाकर नमन करूँ,,
सलामी समर्पित करती हूँ,,,
हे वीरों तुम स्वीकार करो,
श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ-----
💐💐💐💐💐💐🙏🏻
दिन-रविवार
दिनाँक-१७/०२/१९
आर्या शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
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