कुछ दिन पहले हमारे रास्ते को नाले में परिवर्तित कर दिया गया!
जबतक नाला खोदा जा रहा था हम बचाव करके निकलते गये|
खुदने के बाद हम ईंट पत्थर का सहारा लेकर निकले लगे| लेकिन फिर ईंट पत्थर भी हटा दिये गये तो हम दीवार के सहारे नाले के किनारे चलन लगे परन्तु कुछ दिन बाद नाले में पानी भर दिया गया तब हमें याद आया अब दूसरा रास्ता खोजना चाहिये| जल्द ही हमने दूसरा रास्ता खोजा अभी दो ही दिन हुये थे उस रास्ते को भी खोद कर पानी भर दिया गया बड़ी विकट परिस्थिति हो गयी|
मैंने घर से बाहर निकल कर नया रास्ता खोजने का विचार किया तो एक बेहद तंग रास्ता नजर आया जिसमें पत्थर और कांटे थे मैंने उसी रास्ते बाहर निकलने का सोंचा और चल पड़ी|
कांटें और पत्थर अपना काम कर रहे थे... और मेरे कदम चलने का कार्य कर रहे थे ... निरंतर...निरंतर और निरंतर......आगे जाकर देखा वो तंग गली हमें एक बेहद चौड़े रास्ते पर ले गयी...
अब हर दिन मैं उसी रास्ते चलने लगी अपनी मंजिल तक पहुंचने खातिर......
एक ही जगह बार बार पत्थर और कांटे चुभने से मेरे पैर बेहद सख्त हो चुके थे| अब लोहे की कीले भी बर्दाश्त करने की क्षमता आ चुकी थी मेरे पैरों में........
और मैं हर दिन उस तंग गली से उस चौड़े रास्ते तक जाती थी यह सोंच कर कि....
शायद इस रास्ते के उस पार,,,,
कोई और तंग गली बुला रही........
और मुझे मेरी तक पहुंचने का रास्ता बता रही.....
अहसास मेरे थे,,,,,
सच्चाई न जाने कितनों की!!!!!!!
समेट लिये कांटे हमने,,,
कर दी विदाई सारे सपनों की..........✍🏻
ओ३म् परमात्मने नम:
१२/०१/२०१८
कवियत्री, लेखिका और विचारक के रूप में.....
शिवकान्ति आर कमल
( तनु जी )
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