Sunday, January 7, 2018

कांटों की सेज पर



मुझसे किसी सज्जन ने कहा आप बहुत व्यस्त रहती हैं, 
उनकी इस बात पर मुंह से अचानक ही निकल गया "कांटों की सेज पर करवट बदलने का मौका नहीं मिलता"

क्या सच में?
शायद हां क्यूं कि जब हमारे जीवन में कोई दुष्ट प्रवृति का व्यक्ति नासूर बन जाता है तो इंसान का इंसानियत पर से भरोसा उठ जाता है|

दुष्ट प्रवृति के इंसान को बुद्धिजीवी समाज का कोढ़ कहकर भी सम्बोधित करते हैं|

समाज का कोढ़ हां जी सही और सटीक शब्द चुना यदि वह समाज का कोढ़ है तो अंत भी उसका टुकड़ो में होना निश्चित है और एक ऐसा अंत कि लोग उससे दूर भागेगें जब उसके अंग अंग का अंत कोढ़ रूप में होगा|

लेकिन ऐसा व्यक्ति कभी सुधरता नहीं|

एक व्यक्ति आचार्य चाणक्य की नीति का उपासक था???
आप लोग गलत समझे××××

आचार्य चाणक्य के गुणों का नहीं उनकी नीति का उपासक था.........
वह यह भूल गया कि आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियां देश को स्वर्णिम युग बनाने में की थीं.....

यह व्यक्ति उपासक आचार्य चाणक्य नीति का और दिमांग से प्यासा इंसानी खून का....××××

फिर से आप सब गलत समझे?

यह गलत इंसानों का भी खून नहीं पीता यह तो खून करता था अपने ही रिस्तों का अपनों का?
इसे अंग्रेजी भाषा में मेंटल डिसओर्डर, डेप्लोमैटिक कुछ भी कह सकते हैं हिंदी में खूंखार भेड़िया कह तो भी गलत होगा क्यूं कि भेड़िया भी अपनो को दुख नहीं देता|

अब देखिये जी इस चाणक्य ने अपने ही आस पास और घर पर औरंगजेबकालीन मुगलिया सल्तनत बना दिया???????

और इस सल्तनत का ऐसा असर हुआ कुछ रिस्ते जौहर कर गये और दुश्मनी में बदल गये!!!!!!!!!!


जिंदगी प्रभु की बड़ी खूबसूरत देन है प्रियजनों,
आप चाहे तो जीवन स्वर्ग सा लगे बस रिस्तों की कीमत समझें और अपनों से कभी छल न करें|

एक दुष्ट इंसान सबकुछ तबाह कर देता है ऐसे व्यक्ति को बार बार मौका न दें ऐसे रिस्ते का जितनी जल्दी हो सके श्रृाद्ध कर दें|


मेरे विचार और मेरे अनुभव मेरी कलम से...🏻

०८/०१/२०१८

शिवकान्ति आर कमल 
( तनु जी )

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