यह कविता मेरी बेटियों के नाम
जब प्यार से वो मुसकाती है
जब प्यार से वो मुसकाती है.....
फिर माँ माँ कहके बुलाती है.....
तब जीवन स्वर्ग सा लगता है......
यह जां निशार हो जाती है......
आंगन में पायल की रून झुन .....
कान में बाली बाजे झुनझुन....
होली की पावन गीत है वो......
है मन मन्दिर की वो कुमकुम......
मुझे जो गुस्सा आ जाये......
वो आँख देख डर जाती है......
हौले से चूमके गाल मेरे......
फिर आँचल में इतराती है.....
कभी वो मेरी करे इबादत.....
कभी वो थोड़ी करे शरारत.....
मचले या फिर मान जाये वो....
है प्यारी उसकी हर एक आदत.....
मैं भी कूदूं, मैं भी उछलूं.....
संग मैं उसके खेलूं मचलूं.....
उछल कूद जब मैं, थक जाऊं.....
तब बचपन याद दिलाती है......
जब प्यार से वो मुसकाती है......
फिर माँ, माँ कहके बुलाती है......
तब जीवन स्वर्ग सा लगता है......
यह जां निशार हो जाती है.......
फिर माँ माँ कहके बुलाती है.....
तब जीवन स्वर्ग सा लगता है......
यह जां निशार हो जाती है......
आंगन में पायल की रून झुन .....
कान में बाली बाजे झुनझुन....
होली की पावन गीत है वो......
है मन मन्दिर की वो कुमकुम......
मुझे जो गुस्सा आ जाये......
वो आँख देख डर जाती है......
हौले से चूमके गाल मेरे......
फिर आँचल में इतराती है.....
कभी वो मेरी करे इबादत.....
कभी वो थोड़ी करे शरारत.....
मचले या फिर मान जाये वो....
है प्यारी उसकी हर एक आदत.....
मैं भी कूदूं, मैं भी उछलूं.....
संग मैं उसके खेलूं मचलूं.....
उछल कूद जब मैं, थक जाऊं.....
तब बचपन याद दिलाती है......
जब प्यार से वो मुसकाती है......
फिर माँ, माँ कहके बुलाती है......
तब जीवन स्वर्ग सा लगता है......
यह जां निशार हो जाती है.......
स्वरचित_०५/०२/१७
शिवकान्ति आर कमल (तनु जी)
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