मेरी कविता 'तनु जी' (Poetry and Small Story)
Sunday, January 21, 2018
रेत बनकर
रेत बनकर मुट्ठी से फिसल न जाये कहीं कोई अपना,,,,
बस इसी लिये कभी कभी,
अश्कों से रेत को नम कर लिया करते हैं...
२०/०१/२०१८
कवियत्री, लेखिका और विचारक के रूप में.....
शिवकान्ति आर कमल
( तनु जी )
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