प्रेम की ऐसी देखी हालत.....
प्रेम से प्रेम की पूजा करते,
फिर भी प्रेम न करता कोई!!!!!
देखी ऐसी प्रेम की हालत?
फिर से !!!!!तनु!!!!!
जी भर रोयी....
सामने प्रेम की बातें करके,
रंगीली अपनी रातें करके!!!
अगले पल किसी और का प्रेमी,,,
वो कहती यह, गैर का प्रेमी!!!!
मैं उसकी और वो है उसका,,,
नहीं पता यहाँ,
कौन है किसका!!!!
वो था खोया और किसी में,
मैं थी जिसमें पल पल खोयी???
प्रेम की ऐसी देखी हालत,
फिर से तनु जी भर रोयी!!!!!
प्रेम के काबिल जनने वाला,
वो भी कातिल बनने वाला!!!
इक पिता की बारी देखी मैंने,
दिल गद्दारी देखी मैंने!!!!
निज खून से भी थी,
वफा नहीं!!!!
कानून में कोई दफा नहीं,,,,
सच न दिखे उजाले में,
वो बैठी छुपी दुशाले में!!!!
तन से उजली दिखने वाली,,,,
आँखों में कालिख खूब संजोई!!!!
देखी ऐसी प्रेम की हालत,,,
फिर से तनु जी भर रोयी!!!!!
भरी जवानी विधवा होकर,
मिलती जिसको,
हर दिन ठोकर!!!
बन जाती वो पत्थर जैसी,
उसकी हालत कैसी कैसी,,,,,
सुनाके लोरी बच्चों को जो,
रात सिसकियां लेकर सोती!!!!!
देखो एक अजनबी खातिर,
वो भी अपनी बेटी खोती!!!!!
हाथ छुड़ाकर छोड़ अकेले,
प्रेम में वो भी बेटी खोयी!!!
देखी ऐसी प्रेम की हालत,
तनु फिर जी भर रोयी!!!!
कड़ुवी बातें अक्सर सच्ची,
मीठी बातें कच्ची पक्की,,,,
यहां भी मीठा वहां भी मीठा,
दिल में प्रेम है सीठा, सीठा!!!!
ऐसी मीठी महबूबा को,
न यह मीठा न वह मीठा!!!
दिल चीर के रख दो जिसके आगे,
वो भी है, किसी और का होता !!!
तेरा दिल है जिसके खातिर,
उसका दिल किसी गैर का होता !!!!!
मेरे दिल की मत पूछो जी,
मैं तो गहरी नींद में सोयी!!!!
देखी ऐसी प्रेम की हालत,
फिर से तनु जी भर रोयी!!!!
प्रेम से बैठो, प्रेम से बोलो,
प्रेम कभी न छल से तौलो!!!!
भटक रहे हो प्रेम के खातिर,,,
तुम भी बड़े हो छलिया शातिर!!!!
भटक भटक थक जाओगे,,,
लेकिन समझ न पाओगे||||
छल ने है जकड़ा तुमको,,,
न छोड़ा न पकड़ा तुमको!!!!
आ जाओ तुम संग हमारे,
रूह से रूह का उद्धार करो||||
परमपिता है अन्दर बैठा,
प्यार करो बस प्यार करो!!!!!!
प्रभु को चाहूं,
प्रभु को पूजूं,
नहीं चाहिये और कोई!!!!
प्रेम की ऐसी देखी हालत,,,
फिर से तनु जी भर रोयी!!!!!
स्वरचित-०५/०१/२०१८
शिवकान्ति आर कमल ( तनु जी )
प्रेम से प्रेम की पूजा करते,
फिर भी प्रेम न करता कोई!!!!!
देखी ऐसी प्रेम की हालत?
फिर से !!!!!तनु!!!!!
जी भर रोयी....
सामने प्रेम की बातें करके,
रंगीली अपनी रातें करके!!!
अगले पल किसी और का प्रेमी,,,
वो कहती यह, गैर का प्रेमी!!!!
मैं उसकी और वो है उसका,,,
नहीं पता यहाँ,
कौन है किसका!!!!
वो था खोया और किसी में,
मैं थी जिसमें पल पल खोयी???
प्रेम की ऐसी देखी हालत,
फिर से तनु जी भर रोयी!!!!!
प्रेम के काबिल जनने वाला,
वो भी कातिल बनने वाला!!!
इक पिता की बारी देखी मैंने,
दिल गद्दारी देखी मैंने!!!!
निज खून से भी थी,
वफा नहीं!!!!
कानून में कोई दफा नहीं,,,,
सच न दिखे उजाले में,
वो बैठी छुपी दुशाले में!!!!
तन से उजली दिखने वाली,,,,
आँखों में कालिख खूब संजोई!!!!
देखी ऐसी प्रेम की हालत,,,
फिर से तनु जी भर रोयी!!!!!
भरी जवानी विधवा होकर,
मिलती जिसको,
हर दिन ठोकर!!!
बन जाती वो पत्थर जैसी,
उसकी हालत कैसी कैसी,,,,,
सुनाके लोरी बच्चों को जो,
रात सिसकियां लेकर सोती!!!!!
देखो एक अजनबी खातिर,
वो भी अपनी बेटी खोती!!!!!
हाथ छुड़ाकर छोड़ अकेले,
प्रेम में वो भी बेटी खोयी!!!
देखी ऐसी प्रेम की हालत,
तनु फिर जी भर रोयी!!!!
कड़ुवी बातें अक्सर सच्ची,
मीठी बातें कच्ची पक्की,,,,
यहां भी मीठा वहां भी मीठा,
दिल में प्रेम है सीठा, सीठा!!!!
ऐसी मीठी महबूबा को,
न यह मीठा न वह मीठा!!!
दिल चीर के रख दो जिसके आगे,
वो भी है, किसी और का होता !!!
तेरा दिल है जिसके खातिर,
उसका दिल किसी गैर का होता !!!!!
मेरे दिल की मत पूछो जी,
मैं तो गहरी नींद में सोयी!!!!
देखी ऐसी प्रेम की हालत,
फिर से तनु जी भर रोयी!!!!
प्रेम से बैठो, प्रेम से बोलो,
प्रेम कभी न छल से तौलो!!!!
भटक रहे हो प्रेम के खातिर,,,
तुम भी बड़े हो छलिया शातिर!!!!
भटक भटक थक जाओगे,,,
लेकिन समझ न पाओगे||||
छल ने है जकड़ा तुमको,,,
न छोड़ा न पकड़ा तुमको!!!!
आ जाओ तुम संग हमारे,
रूह से रूह का उद्धार करो||||
परमपिता है अन्दर बैठा,
प्यार करो बस प्यार करो!!!!!!
प्रभु को चाहूं,
प्रभु को पूजूं,
नहीं चाहिये और कोई!!!!
प्रेम की ऐसी देखी हालत,,,
फिर से तनु जी भर रोयी!!!!!
स्वरचित-०५/०१/२०१८
शिवकान्ति आर कमल ( तनु जी )
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