*जिंदगी क्या है*
प्यार है, वफा है,
निर्दयता है, दया है....
ऊसर है, बंजर है,,,,,
सुरमयी हया है.......
नयी दुल्हन सी लगती,
कभी शहनाई मन में बजती.....
कभी ताज है, कभी साज है,,,,,,
कभी दहेज से पीड़ित,
चीत्कार है.....
कभी झूठी शेखी है,
मान-सम्मान की....
कभी महफिल में भी,
शर्मसार है....
जब लेती है परीक्षा,
तब दया नहीं करती......
उतर आये बेवफाई पर तो,
वफा नहीं करती.....
संघर्ष है, जीत है,
फूल है, शूली है....
देती यूं जख्म दिल में,
तू जिंदा है,,,,
यह भी भूली है.......
*मैंने पूछा जिंदगी तू क्या है*?
उसने कहा......
मौत से भी खतनाक मंजर है......
कभी पवन बसंती,
तो कभी बवंडर है.....
जिंदगी वो नहीं जो, किताबों में लिखा है.....
यह हर पल इक नया,
फलस़फा है......
यह दर्द की दहाड़ है,,,,
कन्धों पर पहाड़ है....
प्यार का बंधन है,
धोखे का सावन है.....
वहां नहीं मिलती,
जहाँ मैंने देखा है.....
जहाँ उम्मीद ए वफा है,
वहीं धोखा है......
मजबूरियों में सजा है,,,
खुशियों में अदा है.....
क्या तुम्हें पता है,
जिंदगी क्या है????????
💐🙏🏻
दिन- रविवार
दिनांक-२४/०६/२०१८
स्वरचित
नोट- एडेटिंग, कॉपी पेस्ट वर्जित
शिवकान्ति आर कमल
( तनु जी)
प्यार है, वफा है,
निर्दयता है, दया है....
ऊसर है, बंजर है,,,,,
सुरमयी हया है.......
नयी दुल्हन सी लगती,
कभी शहनाई मन में बजती.....
कभी ताज है, कभी साज है,,,,,,
कभी दहेज से पीड़ित,
चीत्कार है.....
कभी झूठी शेखी है,
मान-सम्मान की....
कभी महफिल में भी,
शर्मसार है....
जब लेती है परीक्षा,
तब दया नहीं करती......
उतर आये बेवफाई पर तो,
वफा नहीं करती.....
संघर्ष है, जीत है,
फूल है, शूली है....
देती यूं जख्म दिल में,
तू जिंदा है,,,,
यह भी भूली है.......
*मैंने पूछा जिंदगी तू क्या है*?
उसने कहा......
मौत से भी खतनाक मंजर है......
कभी पवन बसंती,
तो कभी बवंडर है.....
जिंदगी वो नहीं जो, किताबों में लिखा है.....
यह हर पल इक नया,
फलस़फा है......
यह दर्द की दहाड़ है,,,,
कन्धों पर पहाड़ है....
प्यार का बंधन है,
धोखे का सावन है.....
वहां नहीं मिलती,
जहाँ मैंने देखा है.....
जहाँ उम्मीद ए वफा है,
वहीं धोखा है......
मजबूरियों में सजा है,,,
खुशियों में अदा है.....
क्या तुम्हें पता है,
जिंदगी क्या है????????
💐🙏🏻
दिन- रविवार
दिनांक-२४/०६/२०१८
स्वरचित
नोट- एडेटिंग, कॉपी पेस्ट वर्जित
शिवकान्ति आर कमल
( तनु जी)
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