प्रस्तुत है
*मेरी लेखनी ✍🏻 मेरे श्याम के नाम*
*बनकर अपने पिया की..*
बनकर अपने पिया की जोगन,,,,,
देखो मैं वनवास चली......
दिल पिया का मेरे रंग महल....
मैं महलों के रनवास चली.....
इस रूह को कुमकुम,
कर डाला......
ओठों को गुमशुम,
कर डाला.......
आज पिया को वर लूंगी.....
पहनाकर अपने प्रेम की माला.....
अब जग मोहे बैरी लागे.....
मन लेकर पिया की,,,,,,
प्यास चली......
बनकर अपने पिया की जोगन,,,,,
देखो मैं वनवास चली.......
डूब चली मैं प्रेम का दरिया,,,,,,
न माझी की चाहत है......
नाव मिल गयी.....
श्याम नाम की.....
दिल को दिल से राहत है .... ..
वो लेकर हाथ में हाथ चले......
अब मैं भी उनके साथ चली.....
बनकर अपने पिया की जोगन,,,,
देखो मैं वनवास चली.......
क्यूं दिल की बगिया महक उठी,,,,,,
क्यूं महक उठे हैं चौबारे......
मन के पट अब खोल सखी,,,,
यूं लगा कि आये.....
पिया हमारे........
मन मैल का घूंघट,
उठेगा अब....
मैं लेकर ये अरदास चली.......
बनकर अपने पिया की जोगन......
देखो मैं वनवास चली......
स्वरचित- २८/०६/२०१७
कवियत्री- शिवकान्ति आर कमल *(तनु जी)*
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