Thursday, November 1, 2018

फर्ज और जिम्मेदारी समझ कर सींचे गये रिस्ते यदि फलीभूत होने के बाद हमें ठुकरा भी दें तो हमारे अन्तर्मन को तकलीफ नहीं होती------
क्यों की हमने तो सिर्फ वो किया जो करना चाहिए और यदि यह जिम्मेदारी लालचबस निभाओगे तो उचित उम्मीदें पूरी न होने पर तकलीफ जरूर होगी------

हम एक किसान हैं अपने जीवन के। आने वाली ओला वृष्टि या सूखा नहीं रोक सकते परंतु इस डर से हम जीवन रुपी खेत को अपनी जिम्मेदारियों, लगन और निष्ठा से खून पसीना बहाते हुए, धुप, छांव, बारिस में अपने कर्म सम्पूर्ण न करें------यह गलत होगा-----

ओउम्
आप सभी को मेरी नमस्ते

मेरे विचार मेरी कलम से

०२/११/२०१८
शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)

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