Wednesday, November 14, 2018

सभी बुद्धिजीवी, श्रेष्ठजनों को मेरा नमन----

आप सबके समक्ष मेरे कुछ विचारों की एक और प्रस्तुति
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

प्रेम?????
मन से अन्तर्मन तक के लंबे सफर तय करके हृदय पटल पर अपनी छाप छोड़ने वाला प्रेम एक अमित दृश्य होता है जो हृदय रुपी सरिता में निरंतर बहता रहता है। हाँ  एक सरिता की भाँति ही तो होता है ये प्रेम कहाँ आसान हैं इस सरिता की राहें कहीं महफ़िल से गुजरती हैं तो कही निर्जन से,  कहीं पथरीले पथ और कहीं मधुवन--------- लेकिन हृदय पटल का ये कोलाहल कभी खामोशियाँ तो कभी ध्वनि उतपन्न करता हुआ निरंतर बहता है बस बहता है------उसका अंत भी कभी कभी समंदर के आगोश में पहुँचने से पहले भूमिगत हो जाना भी होता है। लेकिन यह धारा एक बार हृदय से निकलने के बाद पुनः हृदय में नहीं समां सकती बहती है या तो खामोशियों से या गुनगुनाहट से------ कभी मंद-मंद बसंती हवा सी और कभी सनसनाहट सी----------
बेहद जरुरी है हाँ जी बेहद जरुरी है सजदा ये मोहब्बत करना यदि करो तो जी भर करो, अंधेपन में करो, खुद से ज्यादा करो,  रिस्ता कोई भी हो प्रेम करो तो छल रहित--------- धोखा मिलेगा तो पीड़ा होगी पीड़ा होगी तो ईश्वर मिलेगा,,,,, पीड़ा होगी तो स्वाभिमान जागेगा-----पीड़ा होगी तो जिंदगी को करीब से समझने का मौका मिलेगा।
यदि धोखा न मिला तो उन रिस्तों से साथ स्वर्ग का अनुभव होगा जिनसे तुमने प्रेम किया और ईश्वर की कृपा मिलेगी। दोनों ही तरह लाभ हमें मिलेगा सुकून हमें मिलेगा------------------इसलिए जीवन में प्रेम बेहद जरुरी है।

एक शेर अर्ज किया है।
गौर फरमाएं---

दिल की महफ़िल में अक्सर,,,,,,,
हम आईने से बात करते हैं---------
तुम क्या दिखाओगे आइना हमें,,,,,
हम तो हर सुबह यहीं से शुरुआत करते हैं------

मेरे विचार मेरी कलम से----
14/11/18

निर्देश- एडेटिंग कॉपी पेस्ट वर्जित

शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)

No comments:

Post a Comment