सभी बुद्दिजीवियों, श्रेष्ठजनों को मेरा नमन 🙏🏻
प्रस्तुत है मेरी लेखनी मेरे विचारों के साथ 🖋🙏🏻
सज्जनों आज मेरे विचारों की उथल-पुथल महाराज योगेश्वर यानि की श्री कृष्ण पर आधारित है।
हमारे समाज में भगवन श्री कृष्ण का जो चरित्र व्याप्त किया गया है क्या ये सही है।
एक माखन चोर, रात-रात भर स्त्रियों संग रासलीला करने वाले, स्त्रियों के कपड़े चुराकर भागने वाले, अनगिनत शादियां करके बेहिसाब बच्चे पैदा करने वाले?
आप सब इन बातों के बारे में कभी सोंचते की एक महापुरुष पर इस तरह के कलंक लगाना हमारी संस्कृति है?
या फिर इन बातों का अर्थ बिगाड़कर हमारे सामने प्रस्तुत किया गया।
हमने एक भागवता चार्य से सुना की श्री कृष्ण के सोलह हजार एक सौ आठ रानियां थी सबके 10-10 पुत्र थे।
हर पत्नी को श्री कृष्ण पति के रूप में पूरा सुख देते थे।
सोंचने वाली बात है माता रुक्मणि से पैदा हुई संतान प्रदुम्न के अलावा इतिहास में श्री कृष्ण के और किसी पुत्र का वर्णन मिलता है क्या?
सब कहाँ चले गए और वो सब पैदा कहाँ हुए थे मथुरा में, वृन्दवन में या द्वारिका में?
आप सब कहते हैं श्री कृष्ण स्वयं ईश्वर का अवतार हैं तो फिर तुम्हारा ईश्वर स्त्रियों के साथ सम्भोग करने के लिए अवतार लेता है।
मतलब तुम्हारा ईश्वर व्यभिचारी है।
और यदि भगवन श्री कृष्ण व्यभिचारी थे तो उन्हें महान ब्रह्मचारी योगेश्वर क्यों कहा गया।
फिर से मिल गया ना एक सबूत जो सोंचने पर मजबूर कर दे की हम जो पढ़ रहे हमें जो बताया जा रहा है हमें जो टी वी धारावाहिक के जरिये दिखाया जा रहा वो गलत है ठीक उसी तरह जैसे हमें महाराणा प्रताप, गुरु गोविंद सिंह, रानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई------- और न जाने कितनों के इतिहास से वंचित रखा गया ये सब तो अभी पैदा हुए थे।
महाभारत काल को तो हजारों वर्ष बीत गए। हम वर्ण से जातियों में बंट गये। हिन्दू से मुसलमान बन गए, वेदों की जगह पुराण पढ़ने लगे, स्त्रियां देवी से सम्भोग की वस्तु समझी जाने लगीं, राज-काज सम्हालने वाली, उपनयन संस्कार में शामिल होने वाली, यज्ञ हवन करने वाली, वेदों का अध्ययन और शास्तार्थ करने वाली हमारी विदुषी माताएं बहनें घूँघट में रहने लगीं, हमारे देश के पुरुष जो बलात्कार जैसे शब्द न जानते थे वो बलात्कार करने लगे-------
जब इतना सब परिवर्तन हो गया तो फिर हमारे आदर्श राम-कृष्ण के आदर्श इतिहास को न बदला गया हो ऐसा कैसे हो सकता है?
एक मानसिक रोगी राक्षस के कैद से मुक्त कराने के बाद उन स्त्रियों ने कृष्ण को अपना क्या माना होगा?
आज अगर किसी स्त्री को कोई वैश्यालय में बेंच दे और कोई अपनी जान पर खेलकर उसकी आबरू और जिंदगी बचाये भले ही इंसानियत के नाते या किसी रिस्ते के नाते तो वो स्त्री उसे क्या मानेंगी? शायद ईश्वर या अपना भाग्यविधाता तो अगर उन कन्याओं ने श्री कृष्ण को अपना सबकुछ अपना ईश्वर मानकर उनकी आराधना करने भी लगीं तो इसमें व्यभिचार कहाँ से आ गया------- अगर श्री कृष्ण जी स्त्रियों के साथ लिप्त रहते थे तो फिर धर्म युद्ध के करता-धरता कैसे बने क्यों कि कोई व्यभिचारी तो धर्म युद्ध का मर्म ही नहीं जान सकता।
अब माखन चुराने की बात आती है। प्रजा को सताने वाला दुष्ट के राजय में वो अपने यहाँ का दूध, दही, माखन क्यों जाने देते इस बात को रोकने के लिए उन्हें चोर बना डाला।
इतने में भी जी न भरा तो कहते हैं श्री कृष्ण स्त्री के कपडे चुराकर भाग जाते और वो नग्नावस्था में कई-कई घण्टे उनसे मिन्नतें करतीं अब तो हद हो गयी कुछ तो शर्म करो यदि तुम्हारे पास-पड़ोस की स्त्रियाँ नंग-धड़ंग घूमेगी।
कपड़े उतार कर नदी में कूदकर स्नान करेंगी तो उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए उन्हें कुछ तो सबक सिखाओगे यदि तुम संस्कारी हो तो?
उन्होंने बिगड़ैल स्त्रियों को सुधारने के लिए यदि कोई कठोर दंड दिया तो उसे नाम दे दिया चीर हरण तो क्या तुम्हारा परमात्मा इतना गिरा हुआ है।
मंदिरों में, तश्वीरों में कैसी-कैसी आपत्तिजनक मूर्ति और तश्वीर रखते जा रहे हो। अपने पूर्वजों का स्वयं तमाशा बना रहे हो अपने ईश्वर को स्वयं गाली दे रहे हो।
विधर्मियों को स्वयं मौका दे रहे हो हमारी संस्कृति का मजाक बनाने के लिए।
ये क्यों भूलते वो महान ब्रम्हचारी, महान बलशाली भगवन योगेश्वर थे।
आज गांव-गांव में सिर्फ उनका तमाशा बना दिया गया है।
श्री कृष्ण को कलंकित करने वाले स्वयं उनके भक्त हैं।
हमारा इतिहास, हमारी संस्कृति हमारा गर्व है उसे पहचानों और लोंगो को भी समझाओ।
कथा-भगवत के माध्यम से सही सन्देश पहुँचाओ सिर्फ पैसे कमाने खातिर मत कलंकित करो अपने ही ईश्वर को 🙏🏻
किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा मकसद नहीं आप में से कुछ लोग भी इस विषय पर सोंचेंगे तो मेरा लिखना सफल हो जायेगा।
*आओ लौट चलें वेदों की ओर-----✍🏻*
२६/११/१८
शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
प्रस्तुत है मेरी लेखनी मेरे विचारों के साथ 🖋🙏🏻
सज्जनों आज मेरे विचारों की उथल-पुथल महाराज योगेश्वर यानि की श्री कृष्ण पर आधारित है।
हमारे समाज में भगवन श्री कृष्ण का जो चरित्र व्याप्त किया गया है क्या ये सही है।
एक माखन चोर, रात-रात भर स्त्रियों संग रासलीला करने वाले, स्त्रियों के कपड़े चुराकर भागने वाले, अनगिनत शादियां करके बेहिसाब बच्चे पैदा करने वाले?
आप सब इन बातों के बारे में कभी सोंचते की एक महापुरुष पर इस तरह के कलंक लगाना हमारी संस्कृति है?
या फिर इन बातों का अर्थ बिगाड़कर हमारे सामने प्रस्तुत किया गया।
हमने एक भागवता चार्य से सुना की श्री कृष्ण के सोलह हजार एक सौ आठ रानियां थी सबके 10-10 पुत्र थे।
हर पत्नी को श्री कृष्ण पति के रूप में पूरा सुख देते थे।
सोंचने वाली बात है माता रुक्मणि से पैदा हुई संतान प्रदुम्न के अलावा इतिहास में श्री कृष्ण के और किसी पुत्र का वर्णन मिलता है क्या?
सब कहाँ चले गए और वो सब पैदा कहाँ हुए थे मथुरा में, वृन्दवन में या द्वारिका में?
आप सब कहते हैं श्री कृष्ण स्वयं ईश्वर का अवतार हैं तो फिर तुम्हारा ईश्वर स्त्रियों के साथ सम्भोग करने के लिए अवतार लेता है।
मतलब तुम्हारा ईश्वर व्यभिचारी है।
और यदि भगवन श्री कृष्ण व्यभिचारी थे तो उन्हें महान ब्रह्मचारी योगेश्वर क्यों कहा गया।
फिर से मिल गया ना एक सबूत जो सोंचने पर मजबूर कर दे की हम जो पढ़ रहे हमें जो बताया जा रहा है हमें जो टी वी धारावाहिक के जरिये दिखाया जा रहा वो गलत है ठीक उसी तरह जैसे हमें महाराणा प्रताप, गुरु गोविंद सिंह, रानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई------- और न जाने कितनों के इतिहास से वंचित रखा गया ये सब तो अभी पैदा हुए थे।
महाभारत काल को तो हजारों वर्ष बीत गए। हम वर्ण से जातियों में बंट गये। हिन्दू से मुसलमान बन गए, वेदों की जगह पुराण पढ़ने लगे, स्त्रियां देवी से सम्भोग की वस्तु समझी जाने लगीं, राज-काज सम्हालने वाली, उपनयन संस्कार में शामिल होने वाली, यज्ञ हवन करने वाली, वेदों का अध्ययन और शास्तार्थ करने वाली हमारी विदुषी माताएं बहनें घूँघट में रहने लगीं, हमारे देश के पुरुष जो बलात्कार जैसे शब्द न जानते थे वो बलात्कार करने लगे-------
जब इतना सब परिवर्तन हो गया तो फिर हमारे आदर्श राम-कृष्ण के आदर्श इतिहास को न बदला गया हो ऐसा कैसे हो सकता है?
एक मानसिक रोगी राक्षस के कैद से मुक्त कराने के बाद उन स्त्रियों ने कृष्ण को अपना क्या माना होगा?
आज अगर किसी स्त्री को कोई वैश्यालय में बेंच दे और कोई अपनी जान पर खेलकर उसकी आबरू और जिंदगी बचाये भले ही इंसानियत के नाते या किसी रिस्ते के नाते तो वो स्त्री उसे क्या मानेंगी? शायद ईश्वर या अपना भाग्यविधाता तो अगर उन कन्याओं ने श्री कृष्ण को अपना सबकुछ अपना ईश्वर मानकर उनकी आराधना करने भी लगीं तो इसमें व्यभिचार कहाँ से आ गया------- अगर श्री कृष्ण जी स्त्रियों के साथ लिप्त रहते थे तो फिर धर्म युद्ध के करता-धरता कैसे बने क्यों कि कोई व्यभिचारी तो धर्म युद्ध का मर्म ही नहीं जान सकता।
अब माखन चुराने की बात आती है। प्रजा को सताने वाला दुष्ट के राजय में वो अपने यहाँ का दूध, दही, माखन क्यों जाने देते इस बात को रोकने के लिए उन्हें चोर बना डाला।
इतने में भी जी न भरा तो कहते हैं श्री कृष्ण स्त्री के कपडे चुराकर भाग जाते और वो नग्नावस्था में कई-कई घण्टे उनसे मिन्नतें करतीं अब तो हद हो गयी कुछ तो शर्म करो यदि तुम्हारे पास-पड़ोस की स्त्रियाँ नंग-धड़ंग घूमेगी।
कपड़े उतार कर नदी में कूदकर स्नान करेंगी तो उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए उन्हें कुछ तो सबक सिखाओगे यदि तुम संस्कारी हो तो?
उन्होंने बिगड़ैल स्त्रियों को सुधारने के लिए यदि कोई कठोर दंड दिया तो उसे नाम दे दिया चीर हरण तो क्या तुम्हारा परमात्मा इतना गिरा हुआ है।
मंदिरों में, तश्वीरों में कैसी-कैसी आपत्तिजनक मूर्ति और तश्वीर रखते जा रहे हो। अपने पूर्वजों का स्वयं तमाशा बना रहे हो अपने ईश्वर को स्वयं गाली दे रहे हो।
विधर्मियों को स्वयं मौका दे रहे हो हमारी संस्कृति का मजाक बनाने के लिए।
ये क्यों भूलते वो महान ब्रम्हचारी, महान बलशाली भगवन योगेश्वर थे।
आज गांव-गांव में सिर्फ उनका तमाशा बना दिया गया है।
श्री कृष्ण को कलंकित करने वाले स्वयं उनके भक्त हैं।
हमारा इतिहास, हमारी संस्कृति हमारा गर्व है उसे पहचानों और लोंगो को भी समझाओ।
कथा-भगवत के माध्यम से सही सन्देश पहुँचाओ सिर्फ पैसे कमाने खातिर मत कलंकित करो अपने ही ईश्वर को 🙏🏻
किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा मकसद नहीं आप में से कुछ लोग भी इस विषय पर सोंचेंगे तो मेरा लिखना सफल हो जायेगा।
*आओ लौट चलें वेदों की ओर-----✍🏻*
२६/११/१८
शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
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