Tuesday, November 20, 2018

एक लेख राज माता कैकेयी पर

सभी श्रेष्ठ जनों को नमन 🙏🏻

 रामायण काल की बातें पढ़कर मेरे मन में अक्सर कुछ प्रश्न उठते हैं।इस उथल पुथल को लेकर मेरे कुछ विचार आप सबके समक्ष 🙏🏻


आज मैंने एक पात्र चुना वो है कैकेयी-------

मैंने बचपन से पढ़ा कैकेयी को कुमाता के रूप में यहाँ तक की विधर्मियों को हमारे धार्मिक ग्रंथों में ऐसे पात्रों के बारे में पढ़कर हमारे सनातन धर्म पर ऊँगली उठाने का मौका मिलता है क्यों की हमारे समाज में तर्क और प्रमाणिकता का अभाव हो गया है। हम अपनी संतानों को भी तर्क और प्रमाणिकता के आधार पर शिक्षा न देकर पाखंड का शिकार बना रहे जिस कारण वे दूसरों की बातों का जवाब नहीं दे पाते हार मान जाते हैं।

सज्जनों क्या कैकेयी सच में कुमाता थीं।
महान योद्धा, राजकाज संभालने में निपुण, राजा दशरथ की सबसे प्रिय रानी, अपनी जान की परवाह न करते हुए युद्ध भूमि में राजा की जान बचाने वाली पत्नी।
यदि वो राजा दशरथ से अपने पुत्र के लिए राज माँगती तो क्या वो मना करते?
श्री राम महाराज को वनवास भेजने की जरुरत क्या थी?
क्या उन्हें इसका अंजाम न पता था कि ऐसा करने पर अयोध्या नगरी शोकाकुल हो जायेगी।

क्या कैकेयी को ये भी न पता था कि उनका पुत्र भरत कभी भी भगवन श्री राम का स्थान ग्रहण न करेंगे।
जब राम को वन भेजा गया तब भरत ननिहाल क्यों भेजे गए थे। उनकी अनुपस्थिति में ही यह फैसला क्यों लिया गया?

हम यह क्यों भूल जाते हैं जिन भरत ने राजपाट त्याग सिंघासन पर प्रभु श्री राम की चरण पादुका रखकर तपिस्वी की भांति जीवनयापन करते हुए चौदह वर्ष प्रजा का ध्यान रखा उन भरत में कैकेयी के दिए ही तो संस्कार थे।

हमने हमेशा पढ़ा रावण बलशाली था उसे जीतना आसान न था।
राक्षसों का आतंक बढ़ गया था।
वो ऋषियों मुनियों को यज्ञ, हवन न करने देते थे।
उस रावण से लड़ने के लिए आर्यवर्त को राक्षसों के अत्याचार से मुक्त करने के लिए श्री राम ने पहले जगह-जगह  ऋषि, मुनियों के आश्रम मुक्त कराये, छोटे-छोटे युद्ध करते हुए आगे बढ़ते रहे परंतु शूर्पणखा और मामा मारीच का किरदार यह कहता है कि रावण ने श्री राम के पीछे अपने जाशूस छोड़ रखे थे और परिणाम स्वरूप माँ सीता का अपहरण हुआ।

यह युद्ध शायद आयोद्धा में रहकर जीतना और लड़ना संभव न था क्यों कि कैकेयी तो महाराजा दशरथ के अपमान का बदला रावण से लेना चाहती थीं।

और श्री रामचंद्र आर्यवर्त की तकलीफें ख़त्म कर एक सुखद राम राज्य लाना चाहते थे जिसके लिए ये सब घटित होना ही था सिवाय माता सीता के अपहरण के।

सोंचने वाली बात है श्री रामचंद्र ने श्री लंका पहुँचने से पहले इतनी विशाल सेना क्यों तैयार की थी एवं युद्ध के पूर्व महान पराक्रमी, एवं सबसे बुद्धिमान योद्धा वीर हनुमान को श्री लंका भेजा और उन्होंने सिर्फ माता सीता के रहने का ठिकाना ही नहीं खोजा बल्कि पूरी लंका का भ्रमण किया और वहां के भेदी विभीषण को भी खोजा-------------



सज्जनों हम बचपन से बुद्धिजीवियों से सुनते आये हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में मिलावट की गयी। हमें हमारे इतिहास से वंचित किया गया। हमेशा गलत इतिहास पढ़ाया गया। हमें सच्चाई से दूर पाखंड की ओर घसीटा गया और हमारी संस्कृति के टुकड़े -टुकड़े कर दिए गए। किन्तु कुछ तत्व हैं तो अटल सत्य हैं जिन्हें मिटाया न जा सका।
क्या आप आने वाली पीढ़ी को प्रमाणिकता और तर्क के आधार पर सनातन धर्म के प्रति कट्टर बनाना चाहेंगे?

आज के विचार में बस इतना ही मैं ज्ञानी तो नहीं न ही मेरा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है।
आपको विचार अच्छे लगें तो इस विषय पर सोंचें अन्यथा न लें।
बस हमें हमारा सनातन धर्म प्यारा है 🙏🏻

मेरे विचार मेरी कलम से-----🖋
  २०/११/१८

शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)

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