सभी आदरणीय, श्रेष्ठजनों को नमन करते हुए----🙏🏻
प्रस्तुत है मेरी कविता जिसका शीर्षक है *जब आएगा वसंत अपना*
जब आएगा वसंत अपना,
तितलियां भी अंगड़ाई लेंगी---
बाग खिलने से पहले,,,,
कलियाँ भी अंगड़ाई लेंगी-----
होंगे धनिया के खेत फूले,
बयारि मंद होगी----
फिजाओं में ऐसी खुशबू,
जो सबको पसंद होगी-----
फगवा जवान होगा,
होली के रंग होंगे------
नाचेंगे हम जमीं पर,
और मन पतंग होंगे------
गावों में गुड़ की खुशबू,
रसखीर मीठे रस की----
पीपल की सरसराहटें---
कहेंगी कुछ तो हँस के,,,,
दुल्हन भी खूब सजेंगी,,,
दूल्हे भी खूब सजेंगे-----
कुदरत भी सज संभलकर,,,
चूनर में जब उड़ेगी-----
पायल की जैसी छन-छन,
करती हुयी हवाएं---
प्रियतम की वो छुअन सी---
चलती हुई हवाएं----
धरती भी होगी दुल्हन,
मौशम भी दूल्हा होगा----
श्रृंगार करके जी भर,,
मधुवन भी फूला होगा----
महुआ के पेड़ नीचे,,,
बिखरेगी खुशबू फिर से---
बेरों के झुरमुटों में,,,,
निखरेगी खुशबू फिर से-----
सरसों के खेत कहते,
है मिलन की रात आयी----
धरा भी ऐसी लागे----
जैसे दुल्हन की मुंह दिखाई-----
देखो जी कैसा-कैसा,
इस मन का हाल होगा----
धरती बनेगी दुल्हन जब,
नया साल होगा-----
सौगात लेके जल्दी,,,,
आ जाना ऋतुओं के राजा,,,
भारतियों को भारत,,,,
दिखा जाना ऋतुओं के राजा----
बंशी भी मन बजेगी,,,
कोयलिया भी शहनाई लेगी----
बाग खिलने से पहले,
कलियाँ भी अंगड़ाई लेंगी------
जब आएगा वसंत--------
कविता रचने का दिनाँक
१७/१२/२०१८
आर्या शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
प्रस्तुत है मेरी कविता जिसका शीर्षक है *जब आएगा वसंत अपना*
जब आएगा वसंत अपना,
तितलियां भी अंगड़ाई लेंगी---
बाग खिलने से पहले,,,,
कलियाँ भी अंगड़ाई लेंगी-----
होंगे धनिया के खेत फूले,
बयारि मंद होगी----
फिजाओं में ऐसी खुशबू,
जो सबको पसंद होगी-----
फगवा जवान होगा,
होली के रंग होंगे------
नाचेंगे हम जमीं पर,
और मन पतंग होंगे------
गावों में गुड़ की खुशबू,
रसखीर मीठे रस की----
पीपल की सरसराहटें---
कहेंगी कुछ तो हँस के,,,,
दुल्हन भी खूब सजेंगी,,,
दूल्हे भी खूब सजेंगे-----
कुदरत भी सज संभलकर,,,
चूनर में जब उड़ेगी-----
पायल की जैसी छन-छन,
करती हुयी हवाएं---
प्रियतम की वो छुअन सी---
चलती हुई हवाएं----
धरती भी होगी दुल्हन,
मौशम भी दूल्हा होगा----
श्रृंगार करके जी भर,,
मधुवन भी फूला होगा----
महुआ के पेड़ नीचे,,,
बिखरेगी खुशबू फिर से---
बेरों के झुरमुटों में,,,,
निखरेगी खुशबू फिर से-----
सरसों के खेत कहते,
है मिलन की रात आयी----
धरा भी ऐसी लागे----
जैसे दुल्हन की मुंह दिखाई-----
देखो जी कैसा-कैसा,
इस मन का हाल होगा----
धरती बनेगी दुल्हन जब,
नया साल होगा-----
सौगात लेके जल्दी,,,,
आ जाना ऋतुओं के राजा,,,
भारतियों को भारत,,,,
दिखा जाना ऋतुओं के राजा----
बंशी भी मन बजेगी,,,
कोयलिया भी शहनाई लेगी----
बाग खिलने से पहले,
कलियाँ भी अंगड़ाई लेंगी------
जब आएगा वसंत--------
कविता रचने का दिनाँक
१७/१२/२०१८
आर्या शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
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