ईश्वर उन्हें कभी नहीं दिखता जो दूसरों को परेशान करने लिए जीते हैं। ईश्वर उंन्हें भी कभी नहीं दिखता जो छल कपट से भरे हैं। ईश्वर सिर्फ उन्हें दिखता है जिनका अन्तर्मन स्वच्छ है, निर्मल है। वक्त कितना भी बुरा हो ईश्वर पर भरोषा सिर्फ वही कर सकता जिसे अपने कर्मों पर भरोषा हो। क्यों कि जिसके कर्म अच्छे हैं उसे ईश्वर यूँ मिटने नहीं देगा। जब आप कर्म को प्रधान मानकर चलेंगे जगह-जगह चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, प्रतिकूलताओं का सामना करना पड़ेगा, मान-अपमान का सामना करना पड़ेगा। यदि चुनौतियाँ, संघर्ष, प्रतिकूलताएँ, मान-अपमान जीवन में न मिला तो भी आपका अनुभव अधूरा रह जायेगा------
आपको अहंकार होगा झूठी शान-शौकत का, आपको अहंकार होगा अपने ज्ञान का-------तो फिर आप रह गए ईश्वर की सच्ची अनुभूति से वंचित----
जब आपका हर अहंकार टूटकर चकनाचूर हो जाये,,,
जब आप ईश्वर को इस तरह पुकारें जैसे एक बच्चा अपने माँ के दूर होने पर उसे पुकारता है----- हाँ जी बस इसी अहसास में तो है ईश्वर-----
जब आपका कर्तव्य सर्वोपरि हो---- आप जीवन के हर मोड़ पर धक्के खा रहे हों,,,,,,
हर तरफ अँधेरा हो-----
हर कोई गैर सा लगे--------फिर भी तुम लड़खड़ाते हुए बढ़ते जा रहे हो,,, आप शिथिल होकर गिरने वाले हो और कोई भी अजनबी आकर तुम्हें सहारा दे---- यहीं तो है ईश्वर------
*अच्छे कर्म करते जाओ*
थके हो फिर भी चलते जाओ-----
वो किसी न किसी को जरूर भेजेगा माध्यम बनाकर-----लेकिन शर्त इतनी है कि तुम्हें रुकना नहीं है अंतिम साँस तक----- हालात कैसे भी हों----
हमारे सद्कर्म ही ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। जितनी सच्चाई इस बात में हैं उतनी ही सच्चाई इस बात में भी की छल, कपट, बुरे कर्मों का अंजाम बुरा जरूर होता है----
*आज नहीं तो कल मिलेगा*
*तेरे कर्मों का फल मिलेगा--*
जितनी देर से मिलेगा उतना ही अच्छा मिलेगा,
जितनी देर से मिलेगा उतना ही बुरा मिलेगा---
ओउम्
नमस्ते जी
जय श्री राम
मेरी अनुभूति मेरे विचार मेरी कलम से----
यह मेरे विचार हैं जरुरी नहीं की आप सहमत हों,,,
असहमति पर अपने विचार जरूर व्यक्त करें लेकिन निर्रथक टिप्पड़ी न दें---
दिन-गुरुवार
दिनाँक-३१/०१/१९
आर्या शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
आपको अहंकार होगा झूठी शान-शौकत का, आपको अहंकार होगा अपने ज्ञान का-------तो फिर आप रह गए ईश्वर की सच्ची अनुभूति से वंचित----
जब आपका हर अहंकार टूटकर चकनाचूर हो जाये,,,
जब आप ईश्वर को इस तरह पुकारें जैसे एक बच्चा अपने माँ के दूर होने पर उसे पुकारता है----- हाँ जी बस इसी अहसास में तो है ईश्वर-----
जब आपका कर्तव्य सर्वोपरि हो---- आप जीवन के हर मोड़ पर धक्के खा रहे हों,,,,,,
हर तरफ अँधेरा हो-----
हर कोई गैर सा लगे--------फिर भी तुम लड़खड़ाते हुए बढ़ते जा रहे हो,,, आप शिथिल होकर गिरने वाले हो और कोई भी अजनबी आकर तुम्हें सहारा दे---- यहीं तो है ईश्वर------
*अच्छे कर्म करते जाओ*
थके हो फिर भी चलते जाओ-----
वो किसी न किसी को जरूर भेजेगा माध्यम बनाकर-----लेकिन शर्त इतनी है कि तुम्हें रुकना नहीं है अंतिम साँस तक----- हालात कैसे भी हों----
हमारे सद्कर्म ही ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। जितनी सच्चाई इस बात में हैं उतनी ही सच्चाई इस बात में भी की छल, कपट, बुरे कर्मों का अंजाम बुरा जरूर होता है----
*आज नहीं तो कल मिलेगा*
*तेरे कर्मों का फल मिलेगा--*
जितनी देर से मिलेगा उतना ही अच्छा मिलेगा,
जितनी देर से मिलेगा उतना ही बुरा मिलेगा---
ओउम्
नमस्ते जी
जय श्री राम
मेरी अनुभूति मेरे विचार मेरी कलम से----
यह मेरे विचार हैं जरुरी नहीं की आप सहमत हों,,,
असहमति पर अपने विचार जरूर व्यक्त करें लेकिन निर्रथक टिप्पड़ी न दें---
दिन-गुरुवार
दिनाँक-३१/०१/१९
आर्या शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
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