Wednesday, January 2, 2019

अन्तर्मन की प्रसन्नता?

ओउम् 🚩

सभी श्रेष्ठजनों को नमन---- 🙏🏻💐
*अन्तर्मन की प्रसन्नता?*

मित्रों बहुत ही आसान है प्रसन्नचित्त रहना---- आज इस विषय पर अपने कुछ विचार और अनुभव प्रस्तुत करूँगी।
आपने कई बार अनुभव किया होगा कभी-कभी शक्ल-सूरत से साधारण दिखने वाला मनुष्य बहुत ज्यादा सुंदर दिखने वाले मनुष्य से ज्यादा प्रभावशाली और सुंदर दिखता है।
ऐसा इसलिए होता है क्यों कि उस साधारण दिखने वाले व्यक्ति का मन प्रसन्न है।

अक्सर देखा गया है हम ईर्ष्या, द्वेष, घमंड आदि के कारण अपने मन का दुखी करते हैं। लेकिन यह नहीं सोंचते कि इससे हम स्वयं को तकलीफ दे रहे हैं।
मनुष्य किसी भी परिस्थिति में हो वो प्रसन्न रह सकता है।

मान लो आप अपने किसी दुःख से दुखी हैं और रास्ते पर चलते समय कोई परिवार किसी कारण खुशियां मनाते हुए दिख गया। आप कुछ पल अपना दुख भूल कर ईश्वर से कहिये हे परमात्मा इनकी खुशियाँ बरकरार रहें--- उनकी खुशियाँ बरकरार रहेंगी या क्षणिक वो ईश्वर जाने परंतु हमारे मन में में हलकान महसूश होगी कुछ पल के लिए ही सही हम अपना दुख भूल जाएँगे।

हमने अक्सर देखा लोग अकारण ही मुंह बिगाड़कर अपना पूरा दिन ख़राब कर लेते हैं, पड़ोसी के घर के ठहाके उंन्हें तकलीफ देते हैं, किसी को अपने पड़ोसी के सुख सुविधाओं से तकलीफ तो किसी स्त्री को दूसरी स्त्री की सुंदरता या बात व्यवहार से तकलीफ-----

 होड़ लगी है एक दुसरे से बेहतर दिखने की------ और इस होड़ में स्वयं का विकास और अन्तर्मन का सुकून खो देते हैं।

क्यों बनना किसी के जैसा हमें स्वयं को बेहतर बनाना है अपने आपसे प्रेम करना है। हमारे पास जो है उसको तो हम संभाल नहीं पाते और दूसरों से जलकर उनका क्या बिगाड़ लेंगे स्वयं का ही बिगड़ेगा, समय बिगड़ेगा, शक्ल बिगड़ेगी, स्वास्थ्य बिगड़ेगा और साधन भी बिगड़ेंगे-----

कुछ लोग तो अपने ही घर में बेचैन हैं----मैं ये करता हूँ, मैं वो करता हूँ,,,,, मैं न होता तो ये होता, मैं न होता तो वो होता------
सारी प्रोपर्टी अपने नाम रखूँगा,
तभी तुम सब हमारे कब्जे में रहोगे,,,,,
बच्चों को कुछ न दूंगा बड़े होकर बेईमानी कर गए तो,,,,,
पत्नी के नाम कुछ न करूंगा किसी के साथ भाग गई तो?

वैसे चाहे तुम्हारे अपनेपन के कारण लोग तुम्हारे पास रुक भी जाते लेकिन ऐसी सोंच के कारण जरूर भाग जायेंगे------

गलत सोंच है मैं जो कर रहा हूँ वो मेरा फर्ज है और इस फर्ज का जो नाजायज फायदा उठाएगा उसका भविष्य वक्त तय करेगा। हम सारी उम्र तो किसी का साथ नहीं दे सकते।
हम अपना कर्तव्य और फर्ज ही निभाने तो यहाँ आये हैं-----

और जब हम अपना जीवन कर्तव्य, फर्ज और संघर्ष समझकर जीने लगते हैं----- अन्तर्मन हर हाल में प्रसन्न रहता है। ये दुनिया खूबसूरत लगती है क्यों कि हमारी सोंच जैसी होगी धीरे-धीरे हम उसी तरह के लोंगो के संपर्क में आने लगते हैं------

मैं एक कवियत्री और लेखिका हूँ। बहुत बार हमें सलाह दी जाती है चाटुकारिता और चालाकियों कि लेकिन मैं स्प्ष्ट बोल देती हूँ------लेखन मेरे अन्तर्मन की आवाज है, मेरा स्वाभिमान है----- और मैं इसकी मालकिन जैसी हूँ वैसी ही रहुँगीं------

क्यों की चाटुकारिता करने से हमारा अन्तर्मन दुखी हो जायेगा और हमारे कलम की बादशाही खत्म------

मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूँ स्वयं का मूल्यांकन करें आप स्वयं के लिए जी रहे हैं---- या दिखावे के लिए------? आप फर्ज के लिए जी रहे या घमंड में-----?
आप ज्ञान के दम्भ में जी रहे----- या ज्ञान रूपी समन्दर की एक बूंद बनकर-----?
आप स्वयं की परिस्थतियों से दुखी हैं या दूसरों की खुशियों से---?

जो काबिले तारीफ है उसकी खुलकर तारीफ करें,,,,, जो धारणीय है उसे धारण करें,
जो विचारणीय है उस पर विचार करें------? जो सुंदर है उसे नमस्कार करें------? बस हो गया आपका मन प्रसन्न हमेशा के लिए, हरहाल में-----हर परिस्थति में----

मेरे विचार मेरी कलम से---- ✍🏻
दिन-गुरुवार
दिनाँक-०३/०१/१९

आर्या शिवकान्ति कमल
(तनु जी)

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