ओउम्
नमस्ते जी 🙏🏻
जय श्री राम 🚩
सभी श्रेष्ठजनों को मेरा नमन---- एवं हमारी कविता पढ़ने के लिए आभार-----जिसका शीर्षक है 👇🏻
*!!निश्छल भावना!!एक संदेश*
देखो एक अजनबी मेरे,
हृदय का जहां हिला गया----
ममता का आँचल जाग उठा,
वो माँ कहकर मुझे
बुला गया-------
नजरों में निश्छल भाव थे,
शब्दों में प्रेम का गुंजन था,,,,
हिय में घुमड़ा ममता का बादल,,
दिल से दिल का बंधन था-----
यह नारी का नारीत्व था,
या कुदरत का चक्र था,,,,
धरा भी पुलकित हो उठी,
जब जब माँ का जिक्र था----
हर शब्द-शब्द में अमरत बहता,
वो जब भी मुझको माँ कहता---
हर बला से उसकी दूरी हो,,,,
हर दुआ में मेरा,
दिल कहता----
बरगद की शीतल छाँव सा,
ढाक के कोमल फूलों जैसा---
मन ममता में झूम उठा,,,,
सावन के बहके झूलों जैसा----
न जाने कौन सा जादू है,,,
माँ शब्द से पनपे,
आँचल में----
मेरे मन का सोम भी देखो,
लुकता-छिपता बादल में----
भारतमाता की भूमि ये,
फिर से पावन हो जाये,,,,
स्त्री का उड़ता आँचल यदि,
माँ-बहन का दामन हो जाये----
हर गली सुरक्षित जीवन की,
नारी है देश की उपवन सी,,,,
तुम पिता, पुत्र और भाई बनो,
यह धरा लगेगी मधुवन सी----
मैं स्वचिन्तन में खोयी थी,
वो अन्तर्मन में आ गया-----
*ममता का आँचल जाग उठा,*
*वो माँ कहकर मुझे बुला गया*
ममता का आँचल जग उठा,
वो माँ कहकर मुझे बुला गया---
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
दिनाँक-२७/०१/१९
दिन- रविवार
निर्देश-एडेटिंग कॉपी पेस्ट वर्जित
*आर्या शिवकान्ति आर कमल*
(तनु जी)
नमस्ते जी 🙏🏻
जय श्री राम 🚩
सभी श्रेष्ठजनों को मेरा नमन---- एवं हमारी कविता पढ़ने के लिए आभार-----जिसका शीर्षक है 👇🏻
*!!निश्छल भावना!!एक संदेश*
देखो एक अजनबी मेरे,
हृदय का जहां हिला गया----
ममता का आँचल जाग उठा,
वो माँ कहकर मुझे
बुला गया-------
नजरों में निश्छल भाव थे,
शब्दों में प्रेम का गुंजन था,,,,
हिय में घुमड़ा ममता का बादल,,
दिल से दिल का बंधन था-----
यह नारी का नारीत्व था,
या कुदरत का चक्र था,,,,
धरा भी पुलकित हो उठी,
जब जब माँ का जिक्र था----
हर शब्द-शब्द में अमरत बहता,
वो जब भी मुझको माँ कहता---
हर बला से उसकी दूरी हो,,,,
हर दुआ में मेरा,
दिल कहता----
बरगद की शीतल छाँव सा,
ढाक के कोमल फूलों जैसा---
मन ममता में झूम उठा,,,,
सावन के बहके झूलों जैसा----
न जाने कौन सा जादू है,,,
माँ शब्द से पनपे,
आँचल में----
मेरे मन का सोम भी देखो,
लुकता-छिपता बादल में----
भारतमाता की भूमि ये,
फिर से पावन हो जाये,,,,
स्त्री का उड़ता आँचल यदि,
माँ-बहन का दामन हो जाये----
हर गली सुरक्षित जीवन की,
नारी है देश की उपवन सी,,,,
तुम पिता, पुत्र और भाई बनो,
यह धरा लगेगी मधुवन सी----
मैं स्वचिन्तन में खोयी थी,
वो अन्तर्मन में आ गया-----
*ममता का आँचल जाग उठा,*
*वो माँ कहकर मुझे बुला गया*
ममता का आँचल जग उठा,
वो माँ कहकर मुझे बुला गया---
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
दिनाँक-२७/०१/१९
दिन- रविवार
निर्देश-एडेटिंग कॉपी पेस्ट वर्जित
*आर्या शिवकान्ति आर कमल*
(तनु जी)
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