ओउम्
नमस्ते जी
जय श्री राम 🚩
*क्यों स्त्री अपवित्र है?*
तुम कहते हो तब स्त्री अपवित्र है,,,,
जब वह कुदरती चक्र से गुजरती है------
यह कुदरती चक्र ईश्वर ने,
इस धरती पर तुम्हें जन्मने के लिए बनाया है-----
जब तुम्हारा निर्माण हो रहा था,,,
उसके उसी अंडे से----
जिसके फूटने से वह अपवित्र हो जाती है---
तब स्त्री अपवित्र नही थी------
उस स्त्री के छाती का दूध पीकर बड़े हो रहे थे,
तब वह अपवित्र न थी-----
जब तुम उसी स्त्री को बलात्कारी नजरों से देखते हो,,,,
तब भी वो अपवित्र नहीं दिखती----
तुम स्त्री को जगत जननी जगदम्बा के रूप में पूजते और उसके मंदिर में नाक रगड़ते हो,,,,
लेकिन मंदिर के बाहर खड़ी स्त्री अपवित्र है-------
बड़े-बड़े विद्वानों से शास्त्रार्थ करने वाली हमारे देश की विदुषयों से लेकर आज तक कि हर स्त्री में तुम्हें अपवित्रता दिखती है-----
श्री लंका तक श्री रामचंद के लिए विजय पथ बनाने वाली माता कैकेयी या फिर-------
महाराजा शिवाजी जैसे शेर पैदा कर उसे राजनीति, कूटनीति, राष्ट्रनीति सिखाने वाली स्त्री माता जीजाबाई अपवित्र है क्यों?
पुरुषों के लिए स्त्री इसलिए अपवित्र है क्यों कि स्त्री मानती है कि वह अपवित्र है-----
एक स्त्री दूसरी रजस्वला स्त्री पर अत्याचार करती है,,,,,
माँ के रूप में, सास के रूप में,
ननद के रूप में-----
क्यों तमाशे होते हैं घर में,,,,,
स्त्री को मासिक धर्म आने पर----
इसमें नया क्या है,,,,,
वो तो प्रतिमाह की प्रक्रिया है-----
कुदरती प्रक्रिया जो ईश्वर ने एक स्त्री को माँ बनने के संकेतों से जोड़ा है-------
लेकिन तमाशा देखो,
ये मत छुओ, वो मत छुओ,
भाई से दूर रहो, बाप से दूर रहो-----
घर का मंदिर बन्द कर दो----
सब अपवित्र हो जायेगा-----
पति से दूर रहो यह तो समझ आया,,,,
पति से दूर रहो का मतलब उस वक्त शारीरिक संबंध से दूर रहो,,,,
लेकिन भाई, बाप को न छुओ??
तो भाई बाप अपनी माँ के कोख से जन्मते समय,
खून में न सने थे क्या------?
उसी लथपथ माँ का दूध न पिया था?
अब जिसके घर चार स्त्रियाँ हैं,
तब तो वह घर कभी पवित्र हो ही नहीं सकता????
वहां पर शुभकार्य के लिए कौन सा दिन तय किया जाये?
कितनी अजीब बात है,,,
हमारा ज्ञान, विज्ञान सब असफल,,,,
अगर कुछ बचा है-----
तो बस बिना मतलब के तमाशे और पाखंड------
बगीचे पेड़ सब मुरझा जायेंगे,,,,
स्त्री इतनी अपवित्र है-----
आचार, घी, तेल सब ख़राब हो जायेगा--------स्त्री इतनी अपवित्र है?
मेरे साथ तो ऐसा आज तक कुछ न हुआ,,,,,,
न कोई बगीचा सूखा,
न फूल-----
जब की मुझे बागवानी का बहुत शौक रहा हमेशा से-----
अगर कोई वस्तु ख़राब होती है,,,,
उसका कोई और कारण होगा-----
उस वक्त अगर कोई पेड़ सूखता है,,,तो उसका भी कोई और कारन होगा----
सच में अगर कुछ सूखता है तो स्वयं रजस्वला स्त्री----
तकलीफ उसे होती है, दर्द उसे होता है----
यदि खानपान अच्छा नहीं तो ल्यूकेरिया और कमजोरी उसे होती है-----
हिओग्लोबिन उसका कम हो जाता है-------
लेकिन इसमें वो अपवित्र क्यों?
हाँ हमारे पूर्वजों ने अगर ऐसे वक्त में स्त्रियों को,,,,
भारी भरकम गृहकार्यों से दूर रखा,,,
उसे एकांत में आराम करने,,,को
कहा तो उसका कारण है-----
किसी को ज्यादा तकलीफ होती है, ऐसे में आराम करना स्वास्थ्य के लिए उचित है।
भारी भरकम कार्य और वजन उठाने से इस स्थति में स्त्री के गर्भाशय के लिए हानिकारक हो सकता है------ इस लिए रोका गया-------
आजकल हम देख रहे हैं ज्यादातर स्त्रियों को गर्भाशय सम्बन्धी तकलीफें बढ़ती जा रही हैं-------
और ये ऐसी तकलीफ है जो यदि ज्यादा बढ़ गयी-----तो फिर स्त्रियों का स्वस्थ्य और निरोग रहना असंभव हो जाता है------
इसलिए सावधानियां अति आवश्यक है-----
लेकिन आपने तो सीधे तमाशा बना दिए-----
कुदरत के इस चक्र को------ जैसे कोई अजूबा है------ जिसकी छाया पड़ते ही तुम भूमिगत हो जाओगे-------
मेरे विचार मेरी कलम से---- ✍🏻
दिन-शुक्रवार
दिनाँक-०४/०१/१९
निर्देश-एडेटिंग कॉपी पेस्ट वर्जित
आर्या शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
नमस्ते जी
जय श्री राम 🚩
*क्यों स्त्री अपवित्र है?*
तुम कहते हो तब स्त्री अपवित्र है,,,,
जब वह कुदरती चक्र से गुजरती है------
यह कुदरती चक्र ईश्वर ने,
इस धरती पर तुम्हें जन्मने के लिए बनाया है-----
जब तुम्हारा निर्माण हो रहा था,,,
उसके उसी अंडे से----
जिसके फूटने से वह अपवित्र हो जाती है---
तब स्त्री अपवित्र नही थी------
उस स्त्री के छाती का दूध पीकर बड़े हो रहे थे,
तब वह अपवित्र न थी-----
जब तुम उसी स्त्री को बलात्कारी नजरों से देखते हो,,,,
तब भी वो अपवित्र नहीं दिखती----
तुम स्त्री को जगत जननी जगदम्बा के रूप में पूजते और उसके मंदिर में नाक रगड़ते हो,,,,
लेकिन मंदिर के बाहर खड़ी स्त्री अपवित्र है-------
बड़े-बड़े विद्वानों से शास्त्रार्थ करने वाली हमारे देश की विदुषयों से लेकर आज तक कि हर स्त्री में तुम्हें अपवित्रता दिखती है-----
श्री लंका तक श्री रामचंद के लिए विजय पथ बनाने वाली माता कैकेयी या फिर-------
महाराजा शिवाजी जैसे शेर पैदा कर उसे राजनीति, कूटनीति, राष्ट्रनीति सिखाने वाली स्त्री माता जीजाबाई अपवित्र है क्यों?
पुरुषों के लिए स्त्री इसलिए अपवित्र है क्यों कि स्त्री मानती है कि वह अपवित्र है-----
एक स्त्री दूसरी रजस्वला स्त्री पर अत्याचार करती है,,,,,
माँ के रूप में, सास के रूप में,
ननद के रूप में-----
क्यों तमाशे होते हैं घर में,,,,,
स्त्री को मासिक धर्म आने पर----
इसमें नया क्या है,,,,,
वो तो प्रतिमाह की प्रक्रिया है-----
कुदरती प्रक्रिया जो ईश्वर ने एक स्त्री को माँ बनने के संकेतों से जोड़ा है-------
लेकिन तमाशा देखो,
ये मत छुओ, वो मत छुओ,
भाई से दूर रहो, बाप से दूर रहो-----
घर का मंदिर बन्द कर दो----
सब अपवित्र हो जायेगा-----
पति से दूर रहो यह तो समझ आया,,,,
पति से दूर रहो का मतलब उस वक्त शारीरिक संबंध से दूर रहो,,,,
लेकिन भाई, बाप को न छुओ??
तो भाई बाप अपनी माँ के कोख से जन्मते समय,
खून में न सने थे क्या------?
उसी लथपथ माँ का दूध न पिया था?
अब जिसके घर चार स्त्रियाँ हैं,
तब तो वह घर कभी पवित्र हो ही नहीं सकता????
वहां पर शुभकार्य के लिए कौन सा दिन तय किया जाये?
कितनी अजीब बात है,,,
हमारा ज्ञान, विज्ञान सब असफल,,,,
अगर कुछ बचा है-----
तो बस बिना मतलब के तमाशे और पाखंड------
बगीचे पेड़ सब मुरझा जायेंगे,,,,
स्त्री इतनी अपवित्र है-----
आचार, घी, तेल सब ख़राब हो जायेगा--------स्त्री इतनी अपवित्र है?
मेरे साथ तो ऐसा आज तक कुछ न हुआ,,,,,,
न कोई बगीचा सूखा,
न फूल-----
जब की मुझे बागवानी का बहुत शौक रहा हमेशा से-----
अगर कोई वस्तु ख़राब होती है,,,,
उसका कोई और कारण होगा-----
उस वक्त अगर कोई पेड़ सूखता है,,,तो उसका भी कोई और कारन होगा----
सच में अगर कुछ सूखता है तो स्वयं रजस्वला स्त्री----
तकलीफ उसे होती है, दर्द उसे होता है----
यदि खानपान अच्छा नहीं तो ल्यूकेरिया और कमजोरी उसे होती है-----
हिओग्लोबिन उसका कम हो जाता है-------
लेकिन इसमें वो अपवित्र क्यों?
हाँ हमारे पूर्वजों ने अगर ऐसे वक्त में स्त्रियों को,,,,
भारी भरकम गृहकार्यों से दूर रखा,,,
उसे एकांत में आराम करने,,,को
कहा तो उसका कारण है-----
किसी को ज्यादा तकलीफ होती है, ऐसे में आराम करना स्वास्थ्य के लिए उचित है।
भारी भरकम कार्य और वजन उठाने से इस स्थति में स्त्री के गर्भाशय के लिए हानिकारक हो सकता है------ इस लिए रोका गया-------
आजकल हम देख रहे हैं ज्यादातर स्त्रियों को गर्भाशय सम्बन्धी तकलीफें बढ़ती जा रही हैं-------
और ये ऐसी तकलीफ है जो यदि ज्यादा बढ़ गयी-----तो फिर स्त्रियों का स्वस्थ्य और निरोग रहना असंभव हो जाता है------
इसलिए सावधानियां अति आवश्यक है-----
लेकिन आपने तो सीधे तमाशा बना दिए-----
कुदरत के इस चक्र को------ जैसे कोई अजूबा है------ जिसकी छाया पड़ते ही तुम भूमिगत हो जाओगे-------
मेरे विचार मेरी कलम से---- ✍🏻
दिन-शुक्रवार
दिनाँक-०४/०१/१९
निर्देश-एडेटिंग कॉपी पेस्ट वर्जित
आर्या शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
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