Thursday, December 6, 2018

बेचैनी**** स्मृतियों पर आधारित लेख

सभी आदरणीय श्रेष्ठजनों को नमस्ते 🙏🏻
सुप्रभात 💐💐💐
जय श्री राम 🚩

*बेचैनी*
स्मृतियों पर आधारित लेख--✍🏻

मित्रों अक्सर लोग बेचैन रहते हैं और उन्हें यही नहीं पता उनकी बेचैनी का कारण क्या है?

एक व्यक्ति था उसकी बेचैनी का कभी अंत ही न होता था।
क्यों बेचैन पता नहीं।
अच्छे पद पर नौकरी करता था। लेकिन उसकी बेचैनी पद और पैसे के साथ बढती जाती।
अजीब उलझने थीं उसकी यदि पैसा पत्नी और बच्चों के नाम कर दिया तो मेरी इज्जत न करेंगे इस लिए अपनी सारी प्रोपर्टी और पैसे को सिर्फ अपने नाम रखता था।
जब पैसे सुरक्षित हो गए तो सोंचता पत्नी के पास गहने हैं मैं तो पत्नी के साथ बहुत बुरा सुलूक करता हूँ।
गहने लेकर बेंचकर अपनी जिंदगी कहीं और शुरू कर ली तो मेरी हार हो जायेगी और वह गहने भी ले जाकर छुपा दिया। फिर भी उसकी पत्नी और बच्चे अपनी दुनिया में खुश थे। अब महाशय को लगा अरे मेरी पत्नी स्वस्थ्य रहेगी तो मारपीट के बदले मुझपर भी हाथ उठा सकती है तो वे किसी भी तरह पत्नी को स्वस्थ्य न रहने देते अलग-अलग तरीके से मानसिक और शारीरिक कष्ट देते। उनकी दौलत पर तो पत्नी का कोई हक ही न था लेकिन स्वाभिमानी होने के कारण खुद की मेहनत से ही कमाये पैसों के कपड़े पहनती और अपनी जरूरतें पूरी करती क्यों कि पति महोदय हद से ज्यादा नीच थे तो एक स्वाभिमानी स्त्री कब तक बरदास्त करती।

और महोदय को तो बेचैन रहने की आदत थी अब देखिये पत्नी जी अपनी आंतरिक सुख के लिए यदि योग और ध्यान के लिए बैठ जाए तो कुछ समय पश्चात् उसको हिलाना डुलाना चालू कर देते फिर भी काम न बने तो ऊपर पानी भी डाल देते।

लेकिन महोदय की बेचैनी रुकने का नाम ही न लेती और पत्नी जी तो पेड़-पौधे, चिड़िया-गिल्लू और मोहल्ले के छोटे-छोटे बच्चों में भी ख़ुशी खोज लेती अब महोदय जी की पत्नी जब आंगन में बैठती तो कुछ गिलहरियाँ भी उनके इर्द-गिर्द आ जाती शरारती अंदाज में लेकिन महोदय को तो बेचैनी थी रख दिया गिलरियों के खाने में चूहा मारने की दवाई बेचारी कई तो मर गयीं और बाकी डर के मारे वो नीम का पेड़ ही छोड़कर चली गयीं।
बेचैनी कितनी अजीब बात है पेड़-पौधों से भी पत्नी जी बतिया लेती थीं तो फिर उनका सबसे पसंदीदा फूल वाला पेड़ महोदय इतनी होशियारी से जड़ से काटते बेचारा तीन-चार दिन में सूख जाता।

लेकिन महोदय की बेचैनी कम न होती किसी पडोसी-रिस्तेदार से मतलब नहीं रखते परंतु पत्नी की पीठ पीछे बेचारे पति वाला रोना रोते। दुनिया के सबसे दुखी इंसान की पत्नी ने जब बच्चों को ट्यूशन पढ़कर इज्जत कमाई तो पति जी ने बाजार में बेंच दी उनकी पत्नी अक्सर गिनती करते समय भूल जाती की उसका किस-किस से अवैध संबंध है।

साथ ही पति जी ने पत्नी की कमायी हड़पना न भूले।
लेकिन बेचैनी थी की ख़त्म ही नहीं होती।
अब तो उन्होंने अपनी पत्नी से बच्चों को ही छीनने की ठान ली। महोदय बेटियों को लेकर बैडरूम अंदर से बंद करके सो जाते और पत्नी को कभी चादर नहीं देते तो कभी बिस्तर-----लेकिन इनकी बेचैनी कम न होती अगर पत्नी को नींद आ जाये तो ये पूरी रात नाटक करके गुजार देते। इनके ड्रामे के कारण इनके बच्चे इन्हें राक्षस कहकर बुलाते और ये बच्चों की पढाई छुड़ाने और मकान बेंचने की धमकी देते----- इन महाशय की बेचैनियों की कहानी की लिस्ट तो इतनी लंबी है कि बताना मुश्किल परंतु उनकी पत्नी जी श्रीमान जी की बेचैनियों को विराम देने हेतु अपने बच्चों के साथ घर छोड़कर चली गईं एक अनवरत संघर्ष की ओर---- न सर पर छत थी न हाथ में पैसा लेकिन रोज-रोज के तमाशे के एक दिन निकल गए उनके कदम घर से बाहर और फिर महाशय की दरिंदगी और बेचैनियों का आलम और बुलंदियों पर चढ़ा जितनी नीचता दिखा सकते थे दिखायी अपनी ही औलाद को भूखे तड़पने के लिए, पत्नी के मायके वालों को भूखे तड़पाने के लिए लेकिन उनकी पत्नी जी किसी भी कीमत पर न वापस आयीं और न ही हार मानी।

उस बेचैन आदमी के चेहरे अब धृष्ठता का अंबार कई गुना बढ़ गया है उसे अभी भी लगता है पैसे से पत्नी के शरीर पर राज कर सकता है उससे और बच्चों से अपने तलवे चाटवा सकता है।

सुना है उसकी बेचैनियाँ कम होने की बजाय बढ़ गयी हैं और उसकी पत्नी स्वयं को विधवा मान चुकी है।
उसे उस दुष्ट की एक बात जरूर याद आती है मैं तेरे खुश होने की हर वजह छीन लूंगा तू सिर्फ उतना ही पानी पीयेगी जितना मैं चाहूं और उतना ही खाना खायेगी जितना मैं चाहूं। लेकिन उसका दूसरा शब्द भी याद आता है कि मेरे इतने षड्यंत्रों के बाद भी तेरी मुस्कुराहट क्यों न छीन पाया किस मिटटी की बनी है तू------तुझे तो बर्बाद कर दूँगा 😃

उसकी पत्नी समझ चुकी थी जो पहली पत्नी की आत्महत्या कराके न सुधरा इतने कुकर्म करके न सुधरा उसे सुधारने में अपना और वक्त बर्बाद न करके अब आखिरी साँस तक अपना संघर्ष करेगी-------

*लेख द्वारा एक संदेश देना चाहूँगी----*

मित्रों रिस्ते हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। हम इंसान हैं हमें जीवन के हर मोड़ पर किसी न किसी रिस्ते की जरुरत पड़ती है।
रिस्तों का इस्तेमाल न करो उनके साथ छल न करो।
पैसा कमाया जाता है और रिस्ता निभाया जाता है।
आप पैसे से भौतिक सुख खरीद सकते हैं लेकिन आप नहीं खरीद सकते एक सच्चा रिस्ता, सच्चा प्रेम आप नहीं खरीद सकते मरते हुए इंसान की जिंदगी और न ही गया हुआ समय।

प्यार से रहो अपने रिस्तों के साथ दिल खोलकर जिओ कोई धोखा देकर जायेगा जाने दो हमारा नसीब और हमारे हाथ पैर तो नहीं ले जायेगा। हमें सुकून तो रहेगा की हमने दिल से रिस्ता निभाया था----- लेकिन जो इस लायक न था चला गया----✍🏻

ओउम् परमात्मने नम:
६/१२/१८
शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)

No comments:

Post a Comment