ओउम्
नमस्ते जी
जय श्री राम 🚩
आज हमारे आर्टिकल का शीर्षक है-----
*हिंदुओं के भगवान, भूगोल और विज्ञान*
मैं इस लेख में सिर्फ अपने देश और अपने कुछ विद्वान ऋषियों, मनीषियों की बात करुँगी।
मित्रों अंग्रेजों द्वारा चलाई गई मैकाले शिक्षा प्रणाली ने हमारी तर्क शक्ति, विज्ञान शक्ति सब ध्वस्त कर दी। हम अपनी संस्कृति से विमुक्त होते जा रहे अपने बच्चों को सिर्फ एक गुलाम मानसिकता का बनाते जा रहे।
आज विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की करने वाले देश अपनी भाषा बोलते हैं, अपने देश के प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं लेकिन हम उनके उतरन भी ब्रांडेड समझकर शेखी बघारते हैं क्यों कि हम सदियों तक गुलाम रहे और उस गुलामी से बाहर नहीं निकल पा रहे।
अब मैं बात करुँगी इस गुलामी की मानसिकता से पहले क्या था हमारा देश?
बादशाह था विज्ञान का, तर्क का, आध्यात्म का, आयुर्वेद का और न जाने किस-किस क्षेत्र में------
जब दुनिया को खड़े होना न आता था तब यह भारतवर्ष दौड़ रहा था विज्ञान और भूगोल के क्षेत्र में------ जब दुनिया ने चलना सीखा तो डाका डाल दिया हमारी पवित्र भूमि पर------ कभी इस देश ने, कभी उस देश ने-----
इस कदर डाका डाला कि अब तो हमें आदत हो गयी जब तक डाका न पड़े चैन नहीं आता------
हमारा देश जिस देश में कहा जाता है भगवान के नाम पर पाखंड है। हाँ जी
क्यों की हम उन भगवानों को समझने का प्रयास न तो करते हैं न ही अपने बच्चों को कराते हैं।
हम बच्चों को यह नहीं सिखाते की परमपिता परमात्मा तो सिर्फ एक है जो सर्वशक्तिमान है और जो ये अलग अलग भगवान हैं वो तो दरसल हमारी अज्ञानता है हमने उन भगवानों के कार्यों को ही नही समझा। उनका सम्मान क्यों करना चाहिए क्यों हमारे पूर्वजों ने उन्हें हमारे दैनिक जीवन से जोड़ा होगा?
मैं अपने तर्क द्वारा एक झलक दिखाना चाहूँगी भगवान, भूगोल और विज्ञान की------
आज भी कई मंदिर ऐसे मिल जायेंगे जहां नौ ग्रहों की पूजा होती है------
ये नौ गृह क्या हैं------
हमारे महान वैज्ञानिक ऋषि आर्य भट्ट की खोज जिन्होंने हजारों वर्ष वर्ष पूर्व भूगोल शास्त्र पर विजय पाई थी---- मतलब उन्होंने टेलिस्कोप की खोज भी की होगी-------- उन्होंने सूर्य और पृथ्वी की दूरी हजारों वर्ष पूर्व जो निर्धारित की थी आज भी कोई नहुँ झुठला पाया हम आज भी वही दूरी पढ़ रहे परंतु किसी और के नाम से। हमने अपने पूर्वजों से सुना और कई बार पढ़ा भी की हमारे मनीषियों ने २७ ग्रहों को खोजने में सफलता प्राप्त कर ली थी। आज तक कोई भी देश नौ ग्रह से ज्यादा नही खोज पाया।
आज टी वी धारावाहिकों में हमारी विज्ञान को अजीब सा रूप दे दिया गया------- गुरु, मंगल शुक्र, शनि, यम------------ सभी को जादुई देवताओं के रूप में पेश किया जाता है जो अकल्पनीय लगता है------
महान ब्रह्मचारी, बलशाली, राजनीतिज्ञ, सर्वगुणी महान वैज्ञानिक बजरंग बली को सूर्य को निगलते हुए दिखा दिया सूर्य जो पृथ्वी से कई गुना बड़ा है कोई कैसे निगल सकता है हाँ निगल सकता है एक वैज्ञानिक?
और बजरंगबली एक वैज्ञानिक थे।
आज भी आंचलिक भाषाओँ में कहते हैं वो पढाई में या अमुख विषय में इतना प्रखर है कि उसे निगल गया, गटक गया, घोलकर पी गया------बगैरह----
तो यहाँ पर विषय यह बनता है कि सूर्य का तापमान बहुत ज्यादा होने के कारण उस पर शोध अधूरे रह जाते हैं और हो सकता है हमारे महान वैज्ञानिक ने सूर्य पर कोई अकल्पनीय रिसर्च की हो जिस्की परिवर्तित भाषा सूर्य को निगलना हो गया-------
इस तरह तो बहुत लंबी कतार है हमारे मनीषियों की और हो सकता है बुद्धिजीवी मुझे पागल समझें------
इस लिए मैं अपने आर्यवर्त के कुछ हजार साल पूर्व के राजाओं और उनके ज्ञान विज्ञान का उदाहरण देना चाहूँगी------
उनमें से एक हैं महान वैज्ञानिक महाराजा विक्रमादित्य आज भी उनकी वेदशाला दिल्ली में स्थति है जिसे विष्णुस्थम्ब के नाम से जाना जाता था। जिसे मुगलों ने तोड़ फोड़कर कुतुबमीनार का नाम दे दिया------ महाराज विक्रमादित्य का सिंघासन किस सिस्टम से बना था कि उनके अलावा कोई नहीं बैठ सकता था ३२ बोलने वाले रोबोट जो कोडवर्ड में बात करते थे।
और बाद में वो सिंघासन कोई नही पा सका-------महाराज कितने महान वैज्ञानिक थे हमारे इतिहास से गायब कर दिया गया------ उनके सहकर्मियों को मार दिया गया------
एक और भी वैज्ञानिक हुए महाराज हर्ष वर्धन जिन्होंने दुनिया को सबसे पहले बताया घर पर पानी से बर्फ कैसे जमती है------हाँ जी जिन देशों में कुदरती बर्फ है उंन्हें भी न पता था बर्फ कैसे जमाते हैं।
न जाने कितने लोहे के औजार हथियारों का निर्माण किया महाराज हर्षवर्धन ने---------लेकिन इतिहास से उनकी विज्ञान भी गायब-------
दुनिया को रौंदने वाला सिकंदर आचार्य चाणक्य के सामने न टिक सका लेकिन वो महान आचार्य आज चुटकुलों का पात्र है------ देश पर मौर्य साम्राज्य स्थापित करने वाला देश की बिगड़ी हुयी अर्थ व्यवस्था को संभाल उसे स्वर्ण युग बनाने वाले आचार्य की नीतियों को आज हेय दृष्टि दे दी गयी।
या तो इतिहास से गायब कर दो या फिर स्वरूप बिगाड़ दो।
यदि कुछ धर्म के नाम पर बचाकर रखा तो उसे ऐसा मोड़ दे दिया की हमारे पूर्वज हँसी का पात्र बन गए--------
मैंने कुछ दिन पहले एक आर्टीकल लिखा था *नियोग कोई व्यभिचार नहीं*
लेकिन नियोग व्यवस्था से पांडव जैसे महान वीरों को पैदा करने वाली महान विदुषी स्त्रियाँ जो अपने युग की वैज्ञानिक थी उन्हें आज मजाक का पात्र बनाया जा रहा लेकिन आज पैदा हुआ अमेरिकन विज्ञान आदमी से भी बच्चा पैदा कर दे तो वाह वाह------
पता नहीं हम कभी आजाद भी होंगे या पूर्णतयः विलुप्त हो जायेंगे-------पता नहीं भटके हुए कभी घर वापस होंन्गे या बचाखुचा भी बेंच देंगे बनावटी आधुनिकता के नाम पर-----
मेरे विचार मेरी कलम से----✍🏻
दिन-रविवार
दिनांक- ३०/१२/१८
निर्देश-कॉपी पेस्ट वर्जित
आर्या शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
नमस्ते जी
जय श्री राम 🚩
आज हमारे आर्टिकल का शीर्षक है-----
*हिंदुओं के भगवान, भूगोल और विज्ञान*
मैं इस लेख में सिर्फ अपने देश और अपने कुछ विद्वान ऋषियों, मनीषियों की बात करुँगी।
मित्रों अंग्रेजों द्वारा चलाई गई मैकाले शिक्षा प्रणाली ने हमारी तर्क शक्ति, विज्ञान शक्ति सब ध्वस्त कर दी। हम अपनी संस्कृति से विमुक्त होते जा रहे अपने बच्चों को सिर्फ एक गुलाम मानसिकता का बनाते जा रहे।
आज विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की करने वाले देश अपनी भाषा बोलते हैं, अपने देश के प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं लेकिन हम उनके उतरन भी ब्रांडेड समझकर शेखी बघारते हैं क्यों कि हम सदियों तक गुलाम रहे और उस गुलामी से बाहर नहीं निकल पा रहे।
अब मैं बात करुँगी इस गुलामी की मानसिकता से पहले क्या था हमारा देश?
बादशाह था विज्ञान का, तर्क का, आध्यात्म का, आयुर्वेद का और न जाने किस-किस क्षेत्र में------
जब दुनिया को खड़े होना न आता था तब यह भारतवर्ष दौड़ रहा था विज्ञान और भूगोल के क्षेत्र में------ जब दुनिया ने चलना सीखा तो डाका डाल दिया हमारी पवित्र भूमि पर------ कभी इस देश ने, कभी उस देश ने-----
इस कदर डाका डाला कि अब तो हमें आदत हो गयी जब तक डाका न पड़े चैन नहीं आता------
हमारा देश जिस देश में कहा जाता है भगवान के नाम पर पाखंड है। हाँ जी
क्यों की हम उन भगवानों को समझने का प्रयास न तो करते हैं न ही अपने बच्चों को कराते हैं।
हम बच्चों को यह नहीं सिखाते की परमपिता परमात्मा तो सिर्फ एक है जो सर्वशक्तिमान है और जो ये अलग अलग भगवान हैं वो तो दरसल हमारी अज्ञानता है हमने उन भगवानों के कार्यों को ही नही समझा। उनका सम्मान क्यों करना चाहिए क्यों हमारे पूर्वजों ने उन्हें हमारे दैनिक जीवन से जोड़ा होगा?
मैं अपने तर्क द्वारा एक झलक दिखाना चाहूँगी भगवान, भूगोल और विज्ञान की------
आज भी कई मंदिर ऐसे मिल जायेंगे जहां नौ ग्रहों की पूजा होती है------
ये नौ गृह क्या हैं------
हमारे महान वैज्ञानिक ऋषि आर्य भट्ट की खोज जिन्होंने हजारों वर्ष वर्ष पूर्व भूगोल शास्त्र पर विजय पाई थी---- मतलब उन्होंने टेलिस्कोप की खोज भी की होगी-------- उन्होंने सूर्य और पृथ्वी की दूरी हजारों वर्ष पूर्व जो निर्धारित की थी आज भी कोई नहुँ झुठला पाया हम आज भी वही दूरी पढ़ रहे परंतु किसी और के नाम से। हमने अपने पूर्वजों से सुना और कई बार पढ़ा भी की हमारे मनीषियों ने २७ ग्रहों को खोजने में सफलता प्राप्त कर ली थी। आज तक कोई भी देश नौ ग्रह से ज्यादा नही खोज पाया।
आज टी वी धारावाहिकों में हमारी विज्ञान को अजीब सा रूप दे दिया गया------- गुरु, मंगल शुक्र, शनि, यम------------ सभी को जादुई देवताओं के रूप में पेश किया जाता है जो अकल्पनीय लगता है------
महान ब्रह्मचारी, बलशाली, राजनीतिज्ञ, सर्वगुणी महान वैज्ञानिक बजरंग बली को सूर्य को निगलते हुए दिखा दिया सूर्य जो पृथ्वी से कई गुना बड़ा है कोई कैसे निगल सकता है हाँ निगल सकता है एक वैज्ञानिक?
और बजरंगबली एक वैज्ञानिक थे।
आज भी आंचलिक भाषाओँ में कहते हैं वो पढाई में या अमुख विषय में इतना प्रखर है कि उसे निगल गया, गटक गया, घोलकर पी गया------बगैरह----
तो यहाँ पर विषय यह बनता है कि सूर्य का तापमान बहुत ज्यादा होने के कारण उस पर शोध अधूरे रह जाते हैं और हो सकता है हमारे महान वैज्ञानिक ने सूर्य पर कोई अकल्पनीय रिसर्च की हो जिस्की परिवर्तित भाषा सूर्य को निगलना हो गया-------
इस तरह तो बहुत लंबी कतार है हमारे मनीषियों की और हो सकता है बुद्धिजीवी मुझे पागल समझें------
इस लिए मैं अपने आर्यवर्त के कुछ हजार साल पूर्व के राजाओं और उनके ज्ञान विज्ञान का उदाहरण देना चाहूँगी------
उनमें से एक हैं महान वैज्ञानिक महाराजा विक्रमादित्य आज भी उनकी वेदशाला दिल्ली में स्थति है जिसे विष्णुस्थम्ब के नाम से जाना जाता था। जिसे मुगलों ने तोड़ फोड़कर कुतुबमीनार का नाम दे दिया------ महाराज विक्रमादित्य का सिंघासन किस सिस्टम से बना था कि उनके अलावा कोई नहीं बैठ सकता था ३२ बोलने वाले रोबोट जो कोडवर्ड में बात करते थे।
और बाद में वो सिंघासन कोई नही पा सका-------महाराज कितने महान वैज्ञानिक थे हमारे इतिहास से गायब कर दिया गया------ उनके सहकर्मियों को मार दिया गया------
एक और भी वैज्ञानिक हुए महाराज हर्ष वर्धन जिन्होंने दुनिया को सबसे पहले बताया घर पर पानी से बर्फ कैसे जमती है------हाँ जी जिन देशों में कुदरती बर्फ है उंन्हें भी न पता था बर्फ कैसे जमाते हैं।
न जाने कितने लोहे के औजार हथियारों का निर्माण किया महाराज हर्षवर्धन ने---------लेकिन इतिहास से उनकी विज्ञान भी गायब-------
दुनिया को रौंदने वाला सिकंदर आचार्य चाणक्य के सामने न टिक सका लेकिन वो महान आचार्य आज चुटकुलों का पात्र है------ देश पर मौर्य साम्राज्य स्थापित करने वाला देश की बिगड़ी हुयी अर्थ व्यवस्था को संभाल उसे स्वर्ण युग बनाने वाले आचार्य की नीतियों को आज हेय दृष्टि दे दी गयी।
या तो इतिहास से गायब कर दो या फिर स्वरूप बिगाड़ दो।
यदि कुछ धर्म के नाम पर बचाकर रखा तो उसे ऐसा मोड़ दे दिया की हमारे पूर्वज हँसी का पात्र बन गए--------
मैंने कुछ दिन पहले एक आर्टीकल लिखा था *नियोग कोई व्यभिचार नहीं*
लेकिन नियोग व्यवस्था से पांडव जैसे महान वीरों को पैदा करने वाली महान विदुषी स्त्रियाँ जो अपने युग की वैज्ञानिक थी उन्हें आज मजाक का पात्र बनाया जा रहा लेकिन आज पैदा हुआ अमेरिकन विज्ञान आदमी से भी बच्चा पैदा कर दे तो वाह वाह------
पता नहीं हम कभी आजाद भी होंगे या पूर्णतयः विलुप्त हो जायेंगे-------पता नहीं भटके हुए कभी घर वापस होंन्गे या बचाखुचा भी बेंच देंगे बनावटी आधुनिकता के नाम पर-----
मेरे विचार मेरी कलम से----✍🏻
दिन-रविवार
दिनांक- ३०/१२/१८
निर्देश-कॉपी पेस्ट वर्जित
आर्या शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
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