Wednesday, September 12, 2018

महिला के स्वाभाव परिवरतन पर एक लघु लेख

सभी सज्जनों एवं बहनों को शुभसंध्या....

प्रियजनों आज एक स्त्री के कर्कश स्वाभाव पर अपने कुछ विचार लिखने का मन किया.....

हमारे धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि कर्कश स्वभाव वाली स्त्री का घर शांतिविहीन होता है| एक कर्कशा कभी पतिप्रिया नहीं होती|
मैं स्त्री होने के नाते यही कहूं स्त्री का स्वभाव सुशील एवं विनम्र होना अति आवश्यक है क्यूं कि स्त्री से घर का सृजन होता है|
परन्तु आप सबने यदि ध्यान दिया होगा हमारे समाज में हमारे आस पास कोई विधवा या तलाक सुधा स्त्री का स्वाभाव परिवर्तन हो जाता है वह कर्कश हो जाती है लोगों को चुभने लगती है| खुद को सभ्य कहने वाले लोग उसके स्वभाव को पसंद नहीं करते दूर भागते हैं| लेकिन कभी सोंचा है ऐसा क्यूं होता है|
पहली बात तो स्त्री ही स्त्री को नीचा दिखाती है अपमानित करने की कोशिश करती है| एक स्त्री जो विधवा या तलाक सुधा है उससे अपने पति को ऐसे छुपाती घूमेगी जैसे कोई मिठाई का बॉक्स हो| अब पुरुष समाज की बात करो एक अकेली औरत को देखा नहीं कि सौ बहाने लेकर पड़ जाते हैं पीछे| ऐसे में यदि अकेली महिला सभ्यता पूर्वक समझाना चाहे तो मनचले पुरुषों को समझ नहीं आता यहां तक कि ऑफिस, समाज में उसका मजाक बना देते हैं वो मैडम तो फलां आदमी के चक्कर में हैं या फिर देखो वो आज मुझसे बड़े प्रेम से समझा रही थी लगता है जल्दी ही बात बन जायेगी|
एक महिला जो पहले से हालातों की मारी है हर दिन कैसे हालातों से जूझती है उसे बार बार अकेले होने का अहसास दिलाया जाता है| न चाहते हुये भी विक्रत दिमांग लोग उसके आगे पीछे मँडराते हैं| ऐसे में वह स्त्री क्या करे वो भूल जाती है अपनी शालीनता, अपना मूल स्वभाव, भूल जाती है अपनी कोमलता और कमर कस लेती ऐसे लोगों को उनकी भाषा में समझाने के लिये| जब वो खुद को समाज से लड़ने के लिये तैयार कर लेती है तब उसे सनकी, झगड़ालू, बिगड़ैल कहा जाने लगता है|

ओ३म् परमात्मने नम:

मेरे विचार मेरी कलम से....

३१/१२/२०१७

शिवकान्ति आर कमल ( तनु जी )

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