बड़े अजीब हो तुम
सुनो ना,
बड़े अजीब हो तुम,
फिर भी मेरे दिल के,
करीब हो तुम!!!!!!
जब भी तुम घर से बहार जाते हो,
मैं तुम्हें देखती रहती हूँ,
चुपचाप सी,
खामोश सी!!!!!
आज मन किया था,
रोक लूं तुम्हे,
फिर सोंचा कल बच्चों के लिये,
भोजन कहां से आयेगा,,,,
फिर मैंने रोक लिया,
अपने कदमों को!!!!!!
और देखती रह गयी,
तुम्हें जाते हुये,,,,,,
तुम्हारी आँखें थकी सी थीं,
तुम सो जाते तो,
कल बच्चे भूख से न सो पाते!!!!!
बस इसी लिये खड़ी रह गयी,
चुपचाप सी!
सुनो ना,
माना कि वक्त ने मुझे,
जिद्दी और गुस्सैल बना दिया है,,,,,
लेकिन मेरे दिल में,
हरपल तुम रहते हो,
मेरे ख्वाबों, ख्यालों और
सवालों, जवाबों में,
बस तुम रहते हो!
जब तुम अपना वादा,
पूरा नहीं कर पाते,
मैं सिहर उठती हूं अन्दर से,,,,
फिर सुनाती हूँ तुम्हें,
खरी खोटी!!!!!!
जानती हूं तुम झूठे नहीं,
परिस्थितियाँ है झूठी!!!
तुम चलते हो दिन रात,
दो जून की,
जुटाने को!!!!
कल तुम आये थे सपने में,
अपने जख्म दिखाने को!!!!
नींद टूट गयी,
मन व्यथित हो उठा,
मैं सारी रात तुम्हें,
पुकारती रही!!!!!
सुनो ना,
बहुत कुछ अनकहा,
सा रह जाता है:::::
सारे स्वर एक तरफ,
हमारा जीवन,
अं, अ: सा रह जाता है!
तुम भी मुझे,
जली कटी न सुनाया करो,
दिल का दर्द,
आँखों से समझ,
जाया करो!
दिल ने कहा बड़े,
अजीब हो तुम,
फिर भी दिल के,
करीब हो तुम!!!!!
फिर भी दिल के,
करीब हो तुम.....
फिर भी.......
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स्वरचित-१७/०९/२०१७
नोट-एडटिंग कॉपी पेस्ट वर्जित
शिवकान्ति आर कमल
( तनु जी )
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