न जाने कब, कैसे----देखो?
मैं खुद ही कहानी हो गयी जी-----
सपनों में जो खोयी थीं,
वो आँखें----पानी हो गयीं जी----
महफ़िल में जो हँसती बातें,
दिल में जैसे धँसती बातें----
काजल का है जिनमें पहरा,
उन आँखों को धुलती रातें 😃
दिल में नयी सी रहती हरदम,
जो बात पुरानी हो गयी जी-----
गिर गिर कर फिर उठते देखो,
चूर जवानी हो गयी जी----
थी दिल में जब भी,
पीर बढ़ी-----
तन्हाई थी,
नजदीक खड़ी----
चारो ओर था रेत का दरिया,,,,
मैं पानी समझकर दौड़ पड़ी----
आँखे बंदकर ख्वाबों से,
इस दिल की शानी हो गयी जी-----
कुछ पल खातिर लगा मुझे,,,,
फिर *तनु*
दीवानी हो गयी जी---
कुछ आह उठी कुछ हूँक उठी,
-----मेरी इस तन्हाई को-----
कुछ अपनेपन की भूख उठी----
आखिर मैं भी इंशा थी,
कुछ पल खुद से रूठ उठी---
आँखे फिर नादानी कर गयी,
खारा पानी हो गयीं जी-------
सुबह-शाम भी आसां नहीं थी"""""
हर रात रूहानी हो गयी जी------
नादान हमें सब कहते थे,
जब बचपन में, मैं रहते थी-----
अंजान थी जग की राहों से,,,
बन मीठा दरिया बहते थी----
अब दावानल भी मुझमें है,,,,,,
हिमगिरि सा भी है,
धुआँ यहाँ-----
अब संभल-संभल कर तुम चलना जी------
पग-पग पर है,
कुआँ यहाँ--------
भटक-भटक कर,
तड़प-तड़प कर-----
इन राहों की रानी हो गयी जी------
कल तक जो इक अल्हड़ थी---- 😃🔥🌵🌪⛈🌈💫
वो *तनु* सयानी हो गयी जी------
वो *तनु*--------- सयानी हो गयी जी*********
10/09/2018
शिवकान्ति आर कमल
(तनु जी)
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